Karnataka Polls 2023: वोट डालने की अपील पर घिरे पीएम मोदी, कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की शिकायत, क्या हो सकता है उनके खिलाफ एक्शन?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 10, 2023, 07:41 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- PTI)

चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का दावा है कि जो पार्टियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 के उल्लंघन का आरोप लगाती हैं, वे खुद अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर यही करती हैं.

डीएनए हिंदी: कांग्रेस (Congress) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सोशल मीडिया के जरिए वोट मांगने की अपील को गैरकानूनी बताते हुए कहा है कि यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन है. उन्होंने पीएम मोदी पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप भी लगाया है. चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मतदान क्षेत्र के बाहर की गई ऐसी अपील मौजूदा कानून के दायरें में नहीं आती है.

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के मुताबिक यह धारा 'किसी भी मतदान क्षेत्र में' में ही लागू होती है. इससे इतर कहीं लिखे गए किसी चीज पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का दावा है कि राजनीतिक पार्टियां सोशल मीडिया के जरिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 के उल्लंघन का एक-दूसरे पर आरोप लगाती हैं. कोई भी ऐसी राजनीतिक पार्टी नहीं है, जिसने इसका उल्लंघन नहीं किया है.

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क्या सच में पीएम मोदी ने तोड़ा है कानून?

हर पार्टी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर भी इस तरह के कई पोस्ट डाले हैं. धारा 126 साइलेंस पीरियड के दौरान सोशल मीडिया को कवर नहीं करती है. सूत्रों के मुताबिक यह धारा मतदान क्षेत्र के बाहर भी किए गए चुनाव प्रचार को कवर नहीं करती है.

कानून के जानकारों का कहना है कि अधिनियम की धारा 126 मतदान क्षेत्र में साइलेंस पीरियड के दौरान चुनाव सामग्री के सार्वजनिक प्रदर्शन को प्रतिबंधित करती है. मतलब केवल मतदान क्षेत्र तक ही यह धारा लागू होती है.

सोशल मीडिया पर किए गए प्रचार पर क्या कहता है कानून?

साइलेंस पीरियड मतदान से ठीक 48 घंटे तक होता है. कर्नाटक के मामले में, यह सोमवार शाम 6 बजे शुरू हुआ. सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने साल 2019 में चुनाव से संबंधित किसी भी संदेश के प्रसार को शामिल करने के लिए इस विशेष धारा में संशोधन का प्रस्ताव दिया था, जिससे सोशल मीडिया को भी इसमें ऐड किया जा सके.  हालांकि यह प्रस्ताव अभी सरकार के विचाराधीन है.

चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों ने साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जारी एक नोटिस का भी जिक्र किया, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था. पोल पैनल ने इस मुद्दे की फिर से जांच की थी.

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आयोग ने तब कहा था कि डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विस्तार की वजह से, मौजूदा आदर्श आचार संहिता, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 और अन्य संबंधित प्रावधानों को को फिर से बदलने और नई समीक्षा करने की जरूरत है. साइलेंस पीरियड के दौरान पार्टी के नेताओं की ओर से सोशल मीडिाय पर अक्सर ऐसे ट्वीट्स किए जाते हैं, जो पहली नजर में किसी कानून का उल्लंघन लगते हैं.

किस बात पर भड़का है विवाद?

विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले कर्नाटक में BJP सरकार की वापसी की पुरजोर वकालत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को कहा था कि पिछले कुछ दिनों में राज्य में उन्हें जो स्नेह मिला है, वह अद्वितीय है और इससे सरकार के प्रति संकल्प मजबूत हुआ है. इसे सभी क्षेत्रों में नंबर एक बनाएं. उन्होंने राज्य को देश में नंबर एक बनाने के मिशन में जनता का आशीर्वाद भी मांगा.

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश में कहा, 'कर्नाटक के हर नागरिक का सपना मेरा सपना है. आपका संकल्प मेरा संकल्प है.'

क्या है कांग्रेस की मांग?

कांग्रेस ने चुनाव आयोग में याचिका दायर कर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की और कहा कि यह चुनाव आयोग की क्षमता और चुनाव लड़ने की इच्छा के लिए एक लिटमस टेस्ट था.  

मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखी गई शिकायत में कर्नाटक के प्रभारी कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने आयोग से पूछा कि क्या वह मूक और असहाय दर्शक बना रहेगा या अपने संवैधानिक कर्तव्य को पूरा करेगा और प्रधानमंत्री के खिलाफ एक्शन लेगा.

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