डीएनए हिंदी: चुनावी मौसम शुरू होते ही हर तरफ सर्वे की भरमार लग जाती है. अलग-अलग पार्टी को लेकर लोगों की अलग-अलग राय होती है. कोई कहता की इस पार्टी को इतने वोट मिलेंगे तो कोई कहता है कि उस पार्टी को ज्यादा वोट मिलेंगे. यानी इन दिनों लोगों में एक खास उत्साह देखने को मिलता है.
वहीं इन अलग-अलग सर्वे को दो भागों में बांटा जाता है- ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल. अब सवाल यह उठता कि आखिर ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल क्या होते हैं और इन्हें किस तरह कराया जाता है?
क्या होता है ओपिनियन पोल?
जानकारी के लिए बता दें कि ओपिनियन पोल चुनाव से पहले कराया जाता है. इस दौरान वोटरों से पूछा जाता है कि आप कौन सी पार्टी को वोट देंगे? यानी इसमें इलेक्शन से पहले वोटरों की राय जानी जाती है कि वे इस बार किसे जीतना चाहते हैं? इस सर्वे में मुख्य रूप से सैंपल साइज पर जोर होता है जिसका जितना बड़ा सैंपल साइज होता है, उसके नतीजे उतने सही होने के करीब होते हैं.
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क्या होता है एग्जिट पोल?
अब बात आती है एग्जिट पोल की. जब चुनाव होते हैं और लोग मतदान केंद्र से वोट देकर बाहर आते हैं, इस दौरान उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी को वोट दिया है? इसके बाद लोगों के डेटा को इकट्ठा कर इस बात का अंदाजा लगाया जाता कि किस पार्टी को कितनी सीट मिल सकती हैं? ऐसे सर्वे को एग्जिट पोल कहते हैं.
कौन करवाता है पोल?
ये पोल न्यूज चैनल या सर्वे करने वाली एजेंसियों द्वारा कराए जाते हैं. इनका एक सैंपल साइज होता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि पोल के दौरान सर्वे करने वाली एजेंसियों ने दो लाख लोगों से बात की. इसके बाद उनसे मिली जानकारी की एक रिपोर्ट तैयार की जाती है. एजेंसी हर सीट के हिसाब से कुछ लोगों से बात करती है और उसके आधार पर बताया जाता है कि चुनाव के नतीजे कैसे रहने वाले हैं.
हालांकि ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल के इस विवाद के बीच वोटर ही अपना अंतिम फैसला करता है.