डीएनए हिंदी: समाजवादी पार्टी के गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी में उत्तर प्रदेश चुनाव के तीसरे चरण में 20 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) सांसद हैं. लेकिन इस बार यहां माहौल बदला-बदला सा है. कहा जा रहा है कि इस बार मैनपुरी में सपा और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी.
मैनपुरी जिले में कुल चार विधानसभा सीटें हैं. इन सीटों में करहल के अलावा मैनपुरी सदर, भोगांव और किशनी विधानसभा सीट शामिल है. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां भोगांव छोड़ अन्य तीन सीटों पर साइकिल की गजब रफ्तार देखने को मिली थी. भोगांव में भाजपा के रामनरेश अग्निहोत्री ने जीत दर्ज की थी.
सपा ने किसे चुनाव में उतारा?
मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से जहां खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ताल ठोक रहे हैं, वहीं अन्य सीटों से पार्टी ने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है. मैनपुरी सदर सीट से विधायक राजू यादव, किशनी से विधायक बृजेश कठेरिया और भोगांव सीट से पुराने प्रत्याशी आलोक शाक्य साइकिल की सवारी कर रहे हैं.
भाजपा ने भी उतारे बड़े चेहरे
भाजपा ने यहां भोगांव से मौजूदा विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री को ही मैदान में उतारा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव को टक्कर देने के लिए केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल करहल से प्रत्याशी बनाए गए हैं. इसके अलावा मैनपुरी सदर सीट से पूर्व मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह और किशनी सीट से भाजपा ने प्रियरंजन आशु दिवाकर को मैदान में उतारा है.
क्या है मैनपुरी के लोगों की राय
मैनपुरी के अधिकांश बाशिंदों को सपा का कट्टर समर्थक कहा जाता है लेकिन इस बार यहां भी बड़ी तादाद में लोग योगी सरकार की कानून व्यवस्था को लेकर तारीफ करते मिलते हैं. लोगों का मानना है कि भाजपा मैनपुरी में सपा को कड़ी टक्कर देने जा रही है.
हालांकि बहुत सारे लोगों का मानना है कि बेरोजगारी, मैनपुरी की अन्य शहरों से कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर यहां के मुख्य मुद्दे हैं. मैनपुरी में रहने वाले रॉकी शुक्ला का कहना है कि इन मुद्दों के अलावा शिक्षा, हेल्थ और इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर भी लोग वोट कर सकते हैं. वो कहते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सपा सरकार में भी काम हुआ था लेकिन भाजपा सरकार में ज्यादा काम हुआ है. लेकिन बात अगर प्रशासन की करें तो योगी सरकार बेहतर है. रॉकी का मानना है कि इसे वजह से इसबार मैनपुरी में एकतरफा मुकाबला देखने को नहीं मिलेगा.
56 साल के दामोदर कश्यप कहते हैं कि पहले सपा के प्रत्याशी आसानी से जीत जाते थे लेकिन अब यह कहा जा सकता है कि भाजपा और सपा में करीबी मुकाबला होने वाला है. कश्यप कहते हैं, "हमें खुशी है कि योगी सरकार से हमें मुफ्त राशन मिल रहा है. माफियाराज और गुंडागर्दी खत्म हो गई है."
स्थानीय व्यापारी संदीप चतुर्वेदी कहते हैं कि शहर के लोग बेहतर कनेक्टिविटी, शैक्षणिक संस्थानों और चिकित्सा सुविधाओं की मांग करता है. वो इसके अलावा बेरोजगारी को यहां की बड़ी समस्या बताते हैं.
वो आगे कहते हैं, "सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी, विकास और कनेक्टिविटी की कमी है. मैनपुरी के मुकाबले इटावा में ज्यादा ट्रेनें हैं. यह सच है कि COVID महामारी के दौरान भाजपा द्वारा मुफ्त राशन दिया गया था. मेरा मानना है कि इस बार लड़ाई कठिन है. इटावा के मुकाबले सपा ने मैनपुरी को ज्यादा कुछ नहीं दिया है. यहां कोई शिक्षण संस्थान नहीं है."
40 साल के मुकिम का कहना है कि मैनपुरी में रहने वाला हर शख्स विकास की राह देख रहा है. वो कहते हैं कि कानून-व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है. वो कहते हैं, "बीजेपी मुकाबले में जरूर है लेकिन सपा को हराना उसके बस की बात नहीं है."
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