Marriage Act के एक सुधार से महिला वोटर बेस मजबूत कर रही Modi सरकार?

कृष्णा बाजपेई | Updated:Dec 18, 2021, 08:12 AM IST

महिलाशक्तिकरण के विपक्षी नेताओं के दावों के बीच मोदी सरकार का एक दांव चुनावी लिहाज से विपक्ष पर भारी पड़ सकता है.

डीएनए हिंदीः पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर तेजी के साथ सभी राजनीतिक दलों का चुनाव प्रचार जारी है. खास बात ये है कि पंजाब, उत्तर प्रदेश, गोवा समेत पांचों राज्यों में राजनीतिक दलों ने महिलासश्क्तिकरण को केन्द्र में रखा है. आधी-आबादी का उल्लेख  दर्शाता है कि अब महिलाओ का वोट इन दलों के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसके विपरीत मोदी सरकार ने अपने एक फैसले से महिलासशक्तिकरण के मुद्दे को विपक्षी दलों से कही ज्यादा धार दे दी है. 

मोदी कैबिनेट का फैसला 

इस सप्ताह बुधवार को जब मोदी कैबिनेट की बैठक हुई तो इसमें कुछ अहम फैसले लिए गए. देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन के विस्तार से लेकर सेमीकंडक्टर्स के उत्पादन और चुनाव सुधार संबंधी विधेयक सभी इस बैठक का केन्द्र थे किन्तु सबसे ज्यादा फोकस आज की तारीख में शादी संबंधी कानून पर है. दरअसल, सरकार ने इस बैठक में लड़कियों की शादी की विधायी उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 करने का फैसला लिया है और इसे चुनावी लिहाज से देखने पर एक मास्टरस्ट्रोक तक माना जा रहा है. 

महिलाएं हैं मुख्य फोकस 

2014 लोकसभा चुनाव के बाद से देखें तो भाजपा की जीत में एक बड़ी भूमिका देश की महिलाओं की भी रही है. हर घर शौचालय और उज्जवला रसोई के जरिए मोदी सरकार ने लगभग देश की प्रत्येक महिला को जोड़ा है. यही कारण है कि हाल ही उज्ज्वला 2.0 भी शुरु कर दी गई है. भाजपा के इसी महिला वोट बैंक को लुभाने के लिए अब विपक्षी दल आरक्षण से लेकर मुफ्त पैसे देने तक की योजनाएं सामने ला रहे हैं.

पहले बात अगर पंजाब की करें तो आम आदमी पार्टी राज्य की महिलाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह देने का ऐलान कर चुकी है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए  लगातार आरक्षण की बात कर रही हैं.  प्रियंका कुछ ऐसे ही वादे गोवा में भी कर आई हैं. वहीं गोवा में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही टीएमसी भी वहां महिलाओं को 5000 रुपये देने का वादा कर चुकी है. स्पष्ट है कि इन सभी राजनीतिक पार्टियों के केन्द्र में महिलाएं ही हैं. 

मोदी सरकार का एक दांव

इन सारी घोषणाओं के बीच अचानक लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 करने का विधेयक सामने आना इस बात का संकेत देता है कि भाजपा महिला सशक्तिकरण के विपक्षी दावों की काट के लिए इस दांव को लेकर आई है. इस मुद्दे पर अभी से ही विरोध शुरु हो गया है. ऐसे में इस विधेयक को लेकर जितना विरोध होगा, उसका संभावित फायदा भाजपा के हिस्से आएगा. भाजपा के लिए ये विधेयक पांच राज्यों कि विधानसभा चुनाव के पहले एक फायदे का संकेत दे सकता है जो कि  उज्जवला और शौचालय योजनाओं की तर्ज पर पार्टी को चुनावी लिहाज से मजबूत कर दे. 

महिला सशक्तिकरण भाजपा टीएमसी पंजाब गोवा उत्तर प्रदेश चुनाव