UP Opinion Poll 2022: छोटी पार्टियों को शामिल करने से BJP या SP किसे फायदा? जानिए 

पुष्पेंद्र शर्मा | Updated:Jan 19, 2022, 09:29 PM IST

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अखिलेश यादव ने कई छोटी पार्टियों के साथ बीजेपी को पटखनी देने का प्लान बनाया है.

डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश चुनाव नजदीक आते ही सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. इस बार किसकी सरकार बनेगी? क्या योगी आदित्यनाथ यूपी के लिए 'उपयोगी' होंगे या अखिलेश खेल बिगाड़ देंगे? लोग इन सवालों का जवाब लगातार ढूंढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच Zee News ने Design Boxed के साथ देश का सबसे बड़ा ओपिनियन पोल किया है. इसके तहत 6 से 17 दिसंबर तक सर्वे किया गया और 11 लाख सैंपल लिए गए. 

इस ओपिनियन पोल में कई सवालों का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश की गई है. एक सवाल यह भी है कि छोटी पार्टियों के विलय से किस पार्टी को फायदा होगा? 

दरअसल अखिलेश यादव ने बीजेपी को शिकस्त देने के लिए कई छोटी पार्टियों से हाथ मिलाया है. अखिलेश राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जनवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल कमेरावादी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, महान दल और आजाद समाज पार्टी कांशीराम को साथ लेकर चल रहे हैं. इधर, भारतीय जनता पार्टी ने अपना दल और निषाद पार्टी से हाथ मिलाया है. ये पार्टियां किसे फायदा पहुंचाएंगी, आइए जानते हैं. 

अन्य पार्टियों से किसे फायदा? 
Design Boxed के डायरेक्टर नरेश अरोड़ा ने कहा, कम्यूनिटी वोट बैंक जिस तरफ होगा उसी पार्टी को फायदा होगा. बड़ी पार्टी को छोटी पार्टी के जुड़ने से फायदा होता दिख रहा है यानी बड़ी पार्टियों को छोटी पार्टियों के विलय से फायदा होगा. इससे उन्हें मार्जिनल सीट भी मिल सकती हैं जो सरकार बनाने में बड़ा रोल प्ले कर सकती है. 

इस तरह यदि नरेश अरोड़ा का आकलन सही हुआ तो अखिलेश यादव इसमें बाजी मार सकते हैं क्योंकि अखिलेश ने सबसे ज्यादा छोटी पार्टियों को साथ लिया है. क्या अखिलेश की यही रणनीति बीजेपी को पटखनी में कामयाब होगी? देखने वाली बात होगी. 

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संजय निषाद बोले, ज्यादा सीट जीतेंगे
एनडीए के सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने कहा, एनडीए ने जितना निर्धारित किया है उससे कहीं ज्यादा सीटें जीत कर दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि हम अब काफी आगे बढ़ चुके हैं. पार्टी क्राउड नहीं, कैडर से चलती है. निषाद पार्टी के पास अच्छा खासा कैडर है. 

किसान आंदोलन का किसे फायदा होगा? 
पश्चिमी यूपी किसान आंदोलन का गढ़ रहा है. यहां की 71 सीटों पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी में कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है. जबकि बसपा को 2 से 4 सीटें मिलती दिख रही हैं. 

डिजाइन बॉक्स्ड के डायरेक्टर नरेश अरोड़ा ने कहा, जाट वोटर्स सपा के खेमे में खड़े दिखाई दे रहे हैं. हालांकि बीजेपी को जितना नुकसान होने की उम्मीद थी उतना नहीं हो रहा है. वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ शुक्ला का कहना है कि किसान आंदोलन के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में जाट वोट बीजेपी के खेमे से खिसक कर सपा में जा सकते हैं लेकिन अर्बन वोटर्स से बीजेपी को नुकसान होता नहीं दिख रहा है. इसके साथ ही मुस्लिम वोट बैंक समाजवादी पार्टी के खेमे में जाता दिख रहा है. 

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वरिष्ठ पत्रकार रति भान ने कहा, रालोद को फायदा हो सकता है. किसान आंदोलन का बीजेपी को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं दिख रहा. उमेश्वर कुमार ने इस सवाल के जवाब में कहा, चूंकि किसान आंदोलन खत्म हो चुका है और अब जब तक चुनाव होंगे यह मुद्दा नर्म पड़ चुका होगा ऐसे में बीजेपी को बहुत ज्यादा नुकसान हो, इसकी संभावना कम दिखाई दे रही है. वरिष्ठ पत्रकार डॉ. संजीव मिश्रा ने कहा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है. 

किसे कितनी सीटें मिल सकती हैं? 
ओपिनियन पोल के अनुसार, भाजपा राज्य में सबसे ज्यादा सीटें हासिल कर सकती है. उसे 245-267 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं सपा दूसरे नंबर पर रहकर 125 से 148 सीटें हासिल की सकती है. 

बसपा को 5 से 9, कांग्रेस को 3 से 7 और अन्य दलों को 2 से 6 सीटें मिल सकती हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में 312 सीटें, सपा को 54, बसपा को 19 व अन्य दलों को 5 सीटें मिली थीं. इससे जाहिर है कि बीजेपी को कुछ नुकसान हो सकता है लेकिन वह सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है. 

ओवैसी से किसको फायदा?
नरेश अरोड़ा ने कहा, ओवैसी के वोटर उस पार्टी को वोट डाल सकते हैं जो जीतने की स्थिति में हैं. चाहे उस सीट पर बसपा, सपा, बीजेपी या कोई अन्य पार्टी आगे हो. लगभग 110 सीटों पर मुस्लिम वोट असर करेगा. 

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