यूपी चुनाव: आखिर गोरखपुर को ही पीएम मोदी ने क्यों दी योजनाओं की सौगात?

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डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले को 10 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का तोहफा दिया है. उन्होंने गोरखपुर फर्टिलाइजर प्लांट  (Gorakhpur Fertilizer Plant) राष्ट्र को समर्पित किया है. उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री ने चुनावों के ऐलान से ठीक पहले गोरखपुर में ही क्यों दस्तक दी, राजनीतिक हलकों में इस पर चर्चा हो रही है.

गोरखपुर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का पूर्वांचल में सबसे मजबूत गढ़ है. प्रधानमंत्री मोदी के गोरखपुर दौरे से इसे साधने की कोशिश हो रही है. अक्टूबर में पीएम मोदी ने सिद्धार्थनगर का दौरा किया था. अब पीएम का फोकस गोरखपुर पर है.

गोरखपुर में 9 विधानसभा सीटें हैं. कैम्पियरगंज, पिपराईच, गोरखपुर नगरीय, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, चौरी-चौरा, खजनी, बासगांव और चिल्लू पार. पूर्वांचल के इस जिले को साधने से बस्ती, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, देवरिया और कुशीनगर जैसे जिले सध जाते हैं.

चिल्लूपार विधानसभा सीट को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी 8 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. चिल्लूपार विधानसभा से विनय शंकर तिवारी बसपा से विधायक हैं जो यूपी के दबंग राजनेता हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं. अब बीजेपी की कोशिश है कि सभी 9 सीटें बीजेपी के खाते में आए. इसे हासिल करने के लिए एक से बढ़कर एक ऐलान किए जा रहे हैं जिनका असर चुनावी राज्य में देखने को मिल सकता है. 

योगी के गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी!

2017 के विधानसभा चुनावों में प्रचंड मोदी लहर की वजह से पूर्वांचल को साधने में भारतीय जनता पार्टी कामयाब रही थी. गोरखपुर योगी आदित्यनाथ का गढ़ है. बीजेपी राज से भी पहले यह उन्हीं का गढ़ था. जब योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को यूपी की सत्ता संभाली तब परिस्थितियां और बदल गईं. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी के गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी पार्टी पर और बढ़ गई है. 

गोरखपुर को किन योजनाओं की पीएम मोदी ने दी सौगात?

पीएम ने गोरखपुर फर्टिलाइजर प्लांट को देश को समर्पित किया है. यह फर्टिलाइजर प्लांट बीते 30 साल से बंद था. इस प्लांट के शुरू होने से करीब 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा वहीं किसानों के जीवन में भी खुशहाली आएगी. इसका निर्माण करीब 8,600 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. गोरखपुर के फर्टिलाइजर प्लांट में हर साल 12.7 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा. गोरखपुर और आसपास के जिले में रहने वाले लोगों के लिए यहां रोजगार का बड़ा अवसर मिलेगा. कृषि के क्षेत्र में यह एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. स्थानीय लोग खुश होंगे तो फायदा बीजेपी को मिलना तय है.

पूर्वांचल के लिए संजीवनी है AIIMS, स्वास्थ्य के क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर पूर्वांचल'

गोरखपुर को AIIMS की सौगात मिली है. यह 112 एकड़ के क्षेत्र में बना है. प्रधानमंत्री मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है. 2016 में पीएम ने इसका शिलान्यास किया था. इस क्षेत्र के लोगों को गंभीर रूप से बीमार होने पर लखनऊ, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों की ओर भटकना पड़ता था. अब एम्स के निर्माण से पूर्वांचल के लोग गोरखपुर में ही बेहतर इलाज पा सकेंगे. एम्स बनने से बिहार, झारखंड और नेपाल से भी लोग इलाज के लिए आएंगे. लोगों को गोरखपुर में विश्वस्तरीय सुविधाओं का लाभ भी मिलेगा.

प्रधानमंत्री मोदी रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (RMRC) के हाइटेक लैब का भी उद्घाटन करेंगे. लैब का शिलान्यास 2018 में हुआ था. इस लैब के जरिए वायरस से होने वाली बीमारियों की जांच हो सकेगी. इसे करीब 36 करोड़ की कीमत से तैयार किया गया है. इन परियोजनाओं से गोरखपुर स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी होगा.

...तो इसलिए पूर्वांचल पर जोर दे रहे हैं पीएम मोदी

बीजेपी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार ने भले ही वापस ले लिया है लेकिन किसान आंदोलन खत्म नहीं हुआ है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में चल रहा आंदोलन बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकता है. गन्ना की कीमतों का मुद्दा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले भी बीजेपी के लिए सिरदर्द रहा है.

राकेश टिकैत का प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश में व्यापक स्तर पर है. राष्ट्रीय लोकदल पार्टी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन भी यहां का सियासी समीकरण बिगाड़ सकता है. ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि किसी भी तरह से पूर्वांचल में पार्टी की नींव और मजबूत की जाए फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को साधने की कोशिश की जाए. यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी पूर्वांचल में एक के बाद एक चुनावी रैलियां कर रहे हैं.