डीएनए हिंदी: पंजाब की राजनीति में लंबी विधानसभा का विशेष स्थान रहा है. यह सीट पंजाब के मुक्तसर जिले में आती है. प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) इस सीट से लगातार 5 बार विधायक बने हैं. इस दौरान उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री का पदभार भी संभाला है.
वहीं बादल एक बार फिर चुनावी दंगल में आखिरी पारी खेलने के लिए उतरे हैं. इसके लिए वे अपना नामांकन पर्चा भी दाखिल कर चुके हैं. इसके साथ ही वे पंजाब के सबसे उम्रदराज (94 साल) प्रत्याशी के रूप में शामिल हो गए हैं.
कैसा रहा है चुनावी इतिहास?
प्रकाश सिंह बादल ने इस सीट से अपना सबसे पहला चुनाव साल 1997 में लड़ा था. इसके बाद 2017 तक बादल लगातार पांच बार लंबी विधानसभा सीट से विधायक रहे. वहीं इससे पहले कांग्रेस तीन बार इस सीट से जीत चुकी है. 1969 और 1972 में इस सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के दाना राम विधायक निर्वाचित हुए तो 1977 में प्रकाश सिंह बादल के छोटे भाई गुरदास सिंह बादल विजयी रहे थे. 1982 और 1987 में हर दीपेंद्र सिंह ने शिरोमणि अकाली दल से अपनी जीत दर्ज की. इसके बाद साल 1997 से लेकर अब तक लंबी सीट पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का दबदबा रहा है.
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2017 का रिपोर्ट कार्ड विजेता पार्टी | शिरोमणि अकाली दल |
विजेता का नाम | प्रकाश सिंह बादल |
निकटतम प्रतिद्वंद्वी | कैप्टन अमरिंदर सिंह |
पार्टी | कांग्रेस |
हार का अंतर | 22,770 |
कैसी है इस बार की स्थिति?
पिछली बार शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को 22,770 वोटों से हराकर लंबी विधानसभा सीट पर अपनी जीत दर्ज की थी. कैप्टन अमरिंदर सिंह तब कांग्रेस के प्रत्याशी थे हालांकि इस बार के चुनाव में स्थिति बदल गई है.
अमरिंदर सिंह इस बार अपनी नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के बैनर तले शिअद की पूर्व सहयोगी पार्टी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरी ओर प्रकाश सिंह बादल के एक बार फिर से मैदान में उतरने से यह बात साफ हो गई है कि वह किसी भी सूरत में सीट को गंवाना नहीं चाहते हैं. यही कारण है पार्टी ने इतनी उम्र में उन्हें को छठवीं बार चुनावी समर में उतारा है.