डीएनए हिंदीः देश में सबसे बुरी राजनीतिक स्थिति यदि किसी दल की है तो वो निश्चित ही कांग्रेस है. 2014 से चुनावी हार का जो सिलसिला बना था वो अभी भी जारी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी राहुल गांधी तक की अमेठी सीट नहीं बचा सकी थी. अमेठी में पार्टी को परास्त करने के बाद भाजपा की नजर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की अकेली लोकसभा सीट रायबरेली पर अटक गई है. दूसरी ओर रायबरेली की एक विधायक अदिति सिंह ने पार्टी छोड़ कांग्रेस की मुसीबतों में बढ़ोतरी कर दी है.
अदिति सिंह ने छोड़ी पार्टी
अमेठी लोकसभा सीट पर हार के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास सोनिया गांधी की रायबरेली सीट ही बची है. भाजपा इस किले को ध्वस्त करने की कवायद में जुटी हुई है. ऐसे में कांग्रेस को नया झटका रायबरेली सदर सीट की विधायक अदिति सिंह ने दिया है. उन्होंने पार्टी छोड़ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ले ली है.
बाहुबली की बेटी हैं अदिति सिंह
रायबरेली सदर की विधायक अदिति सिंह पूर्व बाहुबली विधायक अखिलेश सिंह की बेटी हैं. वो पांच बार के विधायक रह चुके थे और उनकी मृत्यु के पश्चात अदिति सिंह ने अपने पिता की विरासत को संभाला है. विधायक बनने के बाद से ही अदिति कांग्रेस की बजाए लगभग सभी मुद्दों पर भाजपा का पक्ष लेती रही हैं. नतीजा ये है कि पार्टी लगातार इस इलाके समेत पूरे जिले में कमजोर हो गई और इसका फायदा भाजपा के हिस्से आता रहा है.
राहुल की रही हैं समर्थक
एक खास बात यह है कि ये वही अदिति सिंह हैं जो कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थीं और पार्टी के लिए काम करने को उत्साहित रहती थीं. इसके विपरीत योगी सरकार की कार्यशैली ने उन्हें इतना अधिक प्रभावित किया कि अब अदिति भाजपा के पक्ष की बात करने लगी हैं. अदिति अनेकों मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा की खुलकर तारीफ कर चुकी हैं.
स्मृति ईरानी की कड़ी नजर
अमेठी में राहुल को हराकर नया रिकॉर्ड बनाने वाली सांसद स्मृति ईरानी अब अपनी संसदीय सीट के बगल की रायबरेली सीट पर विशेष नजर रख रही हैं. स्मृति को ही इस सीट का कार्यभार भी सौंपा गया है. एक तरफ भाजपा जहां रायबरेली में अपना सियासी कुनबा मजबूत करने के प्रयास कर रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस की आंतरिक कलह के कारण अदिति सिंह का निकलना सोनिया गांधी के लिए चुनौतीपूर्ण बन गया है. हालिया घटनाक्रम संकेत देता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अदिति सिंह का पार्टी छोड़ना सोनिया को नुकसान पहुंचा सकता है.