डीएनए हिंदी: तीन कृषि कानूनों के मुद्दे पर विरोध करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) की अगुवाई में बैठक कर अब निर्णय किया है कि वे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों (5 States Assembly Elections) में बीजेपी का विरोध करेंगे. यह कदम दिखाता है कि अब उनक विरोध राजनीतिक होने लगा है. उन्होंने कहा है कि अब बीजेपी (BJP) को सजा देने का सही समय आ गया है.
राकेश टिकैत ने बोला हमला
दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद राकेश टिकैत समेत सभी किसान नेताओं ने प्रेसवार्ता कर मोदी सरकार (Modi Government) पर हमला बोला है. राकेश टिकैत ने बजट (Budget-2022) को लेकर कहा, “बजट से बहुत उम्मीद थी लेकिन नुक़सान हुआ है. उत्तर प्रदेश में हमारा सभी से ये सवाल रहेगा जो भी वोट मांगने आएंगे उनसे पूछेंगे कि उन्होंने किसानों के लिए क्या किया?'' उन्होंने कहा कि अब बीजेपी को सजा देने का सही समय आ गया है.
चुनावों में करेंगे बीजेपी विरोधी प्रचार
इतना ही नहीं किसानों ने यह भी कहा है कि वे बीजेपी विरोधी प्रचार भी करेंगे. भारतीय किसान यूनियन की तरफ से कहा गया, “एक पर्चा देंगे वोटर्स को जिसमें कई सारे सवाल होंगे. सभी वोट मांगने वालों से उसमें हां या ना में जवाब लेंगे. उत्तराखंड में भी ये पर्चा लोगों को बांटेंगे जिसमें हमारे सवाल है. इसका जवाब वोट मांगने आये सभी से लेंगे. इन जवाबों के आधार पर वोटर खुद तय करेगा कि किसको वोट देना है?'' राकेश टिकैत ने ट्विटर पर भी बयान जारी किया है. इसका टाइटल है कि, 'इस चुनाव में किसान विरोधी बीजेपी (BJP) को सजा दें.'
बीजेपी की नई मुश्किल
गौरतलब है कि एक साल से भी ज्यादा लंबे वक्त तक चले किसान आंदोलन को रोकने की नीति के तहत ही मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को रद्द किया था क्योंकि इससे पांच राज्यों में चुनावों के लिहाज से बीजेपी को नुक़सान हो सकता था. वहीं बीजेपी की प्लानिंग अब उल्टी पड़ती दिख रही है क्योंकि एमएसपी समेत कुछ मुख्य मांगों पर किसान अड़ गए हैं. ऐसे में किसानों का यह बीजेपी विरोधी प्रचार पार्टी को महंगा पड़ सकता है.
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उत्तर प्रदेश में नई चुनौती
किसान आंदोलन के कारण बीजेपी को सबसे बड़ा नुकसान उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों (UP Election 2022) में हो रहा है जिसका संकेत Zee News-DesignBoxed के ओपिनियन पोल में भी दिखा है. वहीं अब यदि राकेश टिकैत खुलकर इस चुनाव में बीजेपी विरोधी प्रचार में उतरते हैं तो इस क्षेत्र में बीजेपी को दोगुना नुकसान तक हो सकता है.
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