यूपी विधासनभा के सबसे अमीर विधायक ने दिया इस्तीफा, बसपा को बड़ा आर्थिक झटका 

कृष्णा बाजपेई | Updated:Nov 26, 2021, 06:24 PM IST

बसपा के सबसे अमीर विधायक शाह आलम ने मायावती की आलोचना करते हुए पार्टी के सभी पदों एवं विधायकी से इस्तीफा दे दिया है. 

डीएनए हिंदीः उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में सभी राजनीतिक दलों ने अपने अभियान को धार देना शुरू कर दिया है. भाजपा, कांग्रेस, सपा और आप सभी वादों की झड़ी लगा रहे हैं लेकिन बसपा इन चुनावों में अदृश्य सी दिख रही है. बसपा के नेता ही पार्टी छोड़ दूसरे दलों में जा रहे हैं. इसी बीच अब विधानसभा के सबसे अमीर विधायक शाह आलम ने बसपा का दामन छोड़ दिया है. ये मायावती के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि कुछ महीनों पहले ही बसपा सुप्रीमो ने उन्हें बसपा विधायक मंडल का नेता नियुक्त किया था. 

शाह आलम ने छोड़ी बसपा

आजमगढ़ के मुबारकपुर से विधायक शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली ने बसपा छोड़ दी है. इतना ही नहीं, बसपा विधायक ने पार्टी के सभी पदों के साथ ही विधायक के पद से भी इस्तीफा दे दिया है. शाह आलम ने पार्टी प्रमुख मायावती को अपना इस्तीफा भेजा है. उन्होंने कुछ गंभीर आरोप भी लगाए हैं. उनका कहना है कि मायावती उनके काम से बेवजह संतुष्ट नहीं हैं.

शाह आलम ने इस्तीफे को लेकर कहा, “21 नवंबर को आपके साथ बैठक में, मुझे लगा कि आप पार्टी के प्रति मेरी भक्ति और ईमानदारी के बावजूद संतुष्ट नहीं हैं. 2012 से पार्टी के प्रति निष्ठावान रहा और पार्टी की तरफ से मिली हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया भी लेकिन लगता है मेरी उपेक्षा की जा रही है. ऐसे में अब आगे साथ रहने की कोई वजह नहीं है. मैं पार्टी पर बोझ नहीं बनना चाहता अगर मेरा नेता मुझसे या मेरे काम से संतुष्ट नहीं है.”  

सबसे अमीर विधायक हैं शाह आलम 

शाह आलम के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्होंने वर्ष 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में BSP के टिकट से विधायकी का चुनाव जीता था. वहीं वर्ष 2014 में शाह आलम ने आज़मगढ़ सदर लोकसभा की सीट से भी चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे. उन्हें उस चुनाव में लगभग 2 लाख 70 हज़ार वोट मिले थे. 

बसपा के विधायक शाह आलम को यूपी का सबसे अमीर विधायक माना जाता है. इसकी वजह ये है कि उनकी कुल संपत्ति 118 करोड़ रुपए से भी ज़्यादा सामने आ चुकी है. वहीं उनकी संपत्ति पार्टी सुप्रीमो मायावती से भी ज्यादा थी. इतने बड़े और कद्दावर नेता के पार्टी छोड़ने के चलते ये माना जा रहा है कि बसपा का चुनावी कैंपेन 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रभावित हो सकता है. इसीलिए इसे मायावती के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है.

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