डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में चुनावी आचार संहित लागू होने के बाद सीएम योगी (Yogi Aditynath) को अचानक झटका देते हुए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का दामने थामने वाले पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के दावे किए थे लेकिन स्थिति यह है कि उनकी ही जड़े उखड़ गई हैं और वो अपनी ही फाजिलनगर विधानसभा सीट तक नहीं बचा पाए. वहीं जब उनसे हार पर सवाल और पुराने बयानों को लेकर बातचीत की गई तो वो बौखला गए. उन्होंने खुद को नेवला बताते हुए कहा है कि उन्हें सांप और नाग ने मिलकर हराया है.
खुद को फिर बताया नेवला
सांप और नेवले से जुड़े पुराने बयानों को लेकर जब उनसे सवाल पूछा तो स्वामी प्रसाद मौर्य बौखला गए और उन्होंने कहा, "हां मैं अगर चुनाव जीता होता तो आज मेरा बयान लागू हो गया होता. नहीं जीत पाया हूं इसलिए जो भी मैंने बयान दिया था उसपर सवाल तो खड़ा ही होगा. हमेशा बड़ा तो नेवला ही होता है. यह बात अलग है कि नाग और सांप दोनों ने मिलकर नेवले को जीतने नहीं दिया."
चुनाव हारा हूं हिम्मत नहीं
भले ही स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए है लेकिन उनमें पुराने तेवर बरकरार हैं, उन्होंने अपनी हार को लेकर कहा, "मैं चुनाव हारा हूं, हिम्मत नहीं. हमने जिन मुद्दों को उठाया वो अब भी मौजूद हैं. मैं आगे भी जनता के मुद्दे उठाता रहूंगा. हम जनता के फैसले का सम्मान करते हैं और जनादेश को स्वीकार करते हैं."
आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा के टिकट पर फाजिलनगर से चुनाव लड़ा था. उन्हें बीजेपी उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार कुशवाहा ने 45,014 वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी. जहां सुरेंद्र कुमार कुशवाहा को 1,16,029 वोट मिले तो वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने 71,015 वोट हासिल किए थे. इस हार को स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए भाजपा से निकलने के बाद सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है.
खत्म राजनीतिक करियर ?
स्वामी प्रसाद मौर्य की छवि एक दलबदलू नेता की बन चुकी है. साल 2017 के चुनाव से पहले वो बीएसपी में अहम पद छोड़कर आए थे और बीजेपी ने उन्हें सम्मान के साथ कैबिनेट रैंक दी. वहीं 2022 चुनाव से पहले उन्होंने उसी तर्ज पर भाजपा छोड़ सपा की जीत की उम्मीद में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadabv) से हाथ मिला लिया लेकिन यहां उनका दांव उल्टा पड़ गया.
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वहीं दूसरी ओर पहले स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना विधानसभा सीट से तीन बार विधायक थे लेकिन उन्हें सपा ने फाजिलनगर से टिकट दे दी. इस सीट बदलने को भी उनकी हार की एक बड़ी वजह के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे में अब राजनीतिक विश्लेषक यह भी कहने लगे हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक करियर हाशिए पर आ गया है.
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