डीएनए हिंदी: 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों (5 States Assembly Elections) में से एक राज्य उत्तराखंड भी है और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों (UK Election 2022) के लिए चुनाव प्रचार थम गया गया है. 14 फरवरी सोमवार के दिन राज्य की 70 सीटों के लिए मतदान होगा. ऐसे में यहां का चुनाव सबसे दिलचस्प माना जा रहा है क्योंकि राज्य की जनता प्रत्येक 5 वर्षों में सरकार बदल देती है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार विधानसभा चुनावों में क्या यही पैटर्न बरकरार रहता है या फिर भाजपा कुछ जादू चलाने में सफल हुई है.
प्रचार के लिए दिया अतिरिक्त समय
नियमों के मुताबिक तो शनिवार को प्रचार का शोर थम गया लेकिन चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने प्रत्याशियों को दो दिन के लिए थोड़ी राहत दी है. आयोग ने प्रत्याशियों को डोर टु डोर प्रचार के लिए चार घंटे अतिरिक्त समय दिया है. प्रदेश में कोविड (Covid) संक्रमण के बीच इस बार के विधानसभा चुनाव पर सख्ती हावी रही. ऐसे में प्रचार में तमाम बंदिशों के बीच आखिरी समय में आयोग ने कुछ राहत दी है.
70 सीटों पर 632 प्रत्याशी
ध्यान देने वाली बात यह है कि UK Election 2022 में प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों पर भाजपा, कांग्रेस, आप, यूकेडी, बसपा, सपा समेत दो दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों के 632 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें 155 प्रत्याशी निर्दलीय हैं. चुनाव आयोग की जानकारी के मुताबिक प्रदेशभर में मतदान से ठीक एक दिन पहले रविवार को 10 हजार 222 पोलिंग पार्टियां रवाना की जाएंगी. मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि रविवार को देहरादून की 1765, हरिद्वार की 1729, ऊधमसिंह नगर की 1488 सहित प्रदेशभर के लिए पार्टियां रवाना की जाएंगी.
यह माना जा रहा है कि यहां मुख्य टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच होगी. कांग्रेस को उम्मीद है कि वो पांच साल की भाजपा सरकार की सत्ता विरोधी लहर के चलते फिर से सत्ता हासिल कर लेगी. वहीं कांग्रेस के लिए दिल्ली की सत्ताधारी पार्टियों AAP मुसीबत का सबब बनी हुई है और वो पार्टी का वोट बांटकर खेल खराब भी कर सकती है.
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निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं खेल
UK Election 2022 में 22 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के बागी प्रत्याशी भी अधिकृत प्रत्याशियों को चुनौती दे रहे हैं और इनका जनाधार अधिकृत प्रत्याशियों की मुश्किलों में इजाफा कर सकता है. ऐसे में इस बार विधानसभा में निर्दलियों की संख्या ज्यादा हो सकती है. इतना ही नहीं अनेक सीटों पर निर्दलीय भले ही जीतने की स्थिति में ना हों लेकिन वे भाजपा-कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में जरूर सक्षम हैं. इसके अलावा यह देखना भी अहम होगा कि आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन भाजपा और कांग्रेस में से किसका खेल खराब करता है.
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