डीएनए हिंदीः शाहजहांपुर जिले की 6 विधानसभा सीटों में से एक सीट है शाहजहांपुर सदर जिसपर 2017 में भाजपा के सुरेश कुमार खन्ना ने जीत दर्ज की थी. राजनीति पर पकड़ रखने वाले स्थानीय जानकारों का कहना है कि यहां मुकाबले में चाहे कोई भी आ जाए लेकिन जीत सुरेश खन्ना की ही होती है. सुरेश खन्ना यहां 8 बार चुनाव जीत चुके हैं. 1989 के बाद से इस सीट को कोई और प्रत्याशी हासिल नहीं कर पाया है.
इस बार के उम्मीदवार
भाजपा ने इस सीट पर 8 बार विधायक बन चुके सुरेश कुमार खन्ना को ही मैदान में उतारा है. वहीं सपा ने भी पिछले 2 बार के प्रत्याशी तनवीर खां को मैदान में उतारा है. जबकि बसपा ने सर्वेश चन्द्र धांधू मिश्रा और कांग्रेस ने पूनम पांडेय पर विश्वास दिखाया है.
क्या इस बार रिकॉर्ड बनाएंगे खन्ना?
भाजपा (BJP) के सुरेश कुमार खन्ना ने 1989 से शाहजहांपुर विधानसभा सीट पर कब्जा किया हुआ है. 1989 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के नवाब सिकंदर अली खान को 4 हजार से अधिक मतों से हराया था. 1991 में उन्होंने जनता दल के मोहम्मद इकबाल को 28 हजार से अधिक वोटों से हराया. वहीं 1993 के चुनाव में सुरेश खन्ना ने सपा के अशोक कुमार को 16 हजार से अधिक वोटों से हराया था. तब से सुरेश कुमार खन्ना लगातार सीट पर कब्जा किए हुए हैं.
सपा-भाजपा के बीच मुकाबला
इस सीट के लिए पिछली 2 बार से भाजपा और सपा प्रत्याशी के बीच मुकाबला हो रहा है. 2017 के चुनावों में भाजपा के सुरेश कुमार खन्ना ने 1,00,734 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी. जबकि दूसरे नबंर 81,531 वोटों के साथ सपा के तनवीर तनवीर खां रहे थे. वहीं बसपा के मोहम्मद असलम खान 16,546 वोटों के साथ तीसरे नबंर पर रहे थे.
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2012 के चुनावों में भी भाजपा और सपा के बीच मुकाबला हुआ था जिसमें सुरेश कुमार खन्ना ने 81,581 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी. जबकि तनवीर खां को केवल 65,403 वोट प्राप्त हुए थे.
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जातीय समीकरण का 0 इफेक्ट
शाहजहांपुर विधानसभा सीट के कुल चार लाख से अधिक मतदाता हैं. जिसमें सर्वाधिक मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है. वहीं इस सीट पर दलित मतदाता निर्णायक की भूमिका निभाते है. जबकि खन्ना जाति के वोटर ना के बराबर हैं. फिर भी पिछले 8 बारी से भाजपा के सुरेश कुमार खन्ना विधायक बन रहे हैं इसलिए यह कहा जा सकता है कि शाहजहांपुर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण का 0 इफेक्ट पड़ता है.