डीएनए हिंदी: राजनीतिक लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच सीधे मुकाबले के दूसरे दौर का गवाह बनने जा रहा है. आगामी नौ अप्रैल को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के स्थानीय प्रशासनिक क्षेत्र चुनाव में इन दोनों पार्टियों के बीच फिर जोर आजमाइश होगी.
विधान परिषद के चुनाव में कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है जिससे यह लड़ाई एक बार फिर भाजपा और सपा के बीच हो गई है. हाल में संपन्न राज्य विधानसभा चुनाव में भी मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनों दलों के बीच था.
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सपा विधान परिषद के चुनाव में सदन में एक बार फिर अपना बहुमत बरकरार रखने की कोशिश करेगी जबकि भाजपा विधानसभा के बाद अब विधानपरिषद में भी बहुमत हासिल करने का प्रयास करेगी. चुनाव की मतगणना आगामी 12 अप्रैल को होगी.
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भाजपा ने आगामी नौ अप्रैल को होने वाले इस चुनाव के लिए सोमवार को अपने छह और प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए. इससे पहले पार्टी ने 30 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया था. पार्टी ने जिन 36 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है उनमें से पांच समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं. वे शैलेंद्र प्रताप सिंह, सी पी चंद, रविशंकर सिंह पप्पू, रमा निरंजन और नरेंद्र भाटी हैं.
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विधानसभा चुनाव से पहले सपा के कई विधान परिषद सदस्य भाजपा में शामिल हो गए थे. सपा ने रविवार को अपने 34 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए. पार्टी ने अपने गठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के लिए स्थानीय प्रशासनिक क्षेत्र की मेरठ-गाजियाबाद तथा बुलंदशहर की सीटें छोड़ी हैं.
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इस बीच, कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य दीपक सिंह ने कहा, "कांग्रेस ने आगामी विधान परिषद चुनाव के लिए कोई भी प्रत्याशी खड़ा नहीं करने का फैसला किया है. अब हम सिर्फ जीतने के लिए ही चुनाव लड़ेंगे. हम प्रदेश विधानसभा के हाल में हुए चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा कर रहे हैं."
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उधर, बसपा के सूत्रों ने भी बताया कि पार्टी विधान परिषद चुनाव में अपना कोई भी प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगी. गौरतलब है कि विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख सोमवार 21 मार्च थी. उत्तर प्रदेश की 100 सदस्यीय विधान परिषद में इस समय भाजपा के 35 सदस्य हैं जबकि सपा के 17 बसपा के चार तथा कांग्रेस, अपना दल, निषाद पार्टी और निर्दल समूह का एक-एक सदस्य है. शिक्षक दल के दो सदस्य हैं जबकि एक निर्दलीय सदस्य है.
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राज्य विधान परिषद की 36 सीटें पिछली सात मार्च को संबंधित सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के कारण रिक्त हो गई थीं. सदन में 37वीं सीट नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन के निधन की वजह से खाली हुई है.
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राज्य विधानसभा की हाल के चुनाव में भाजपा को 255 सीटें मिली थीं और वह लगातार दूसरी बार स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. भाजपा के सहयोगी अपना दल सोनेलाल को 12 तथा निषाद पार्टी को छह सीटों पर जीत हासिल हुई थी. दूसरी ओर, सपा को 111 सीटें मिली थी और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल को आठ तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को छह सीटें मिली थीं. इसके अलावा कांग्रेस को दो तथा बसपा को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी.
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