डीएनए हिंदी: उतर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की नजर है. राज्य की सियासत के बड़े-बड़े सूरमा एक दूसरे पर जमकर प्रहार कर रहे हैं. कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश की सियासत को जाति और धर्म सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं लेकिन राज्य में एक बहुत बड़ा तबका ऐसा भी है जो शिक्षा और विकास को लेकर ही वोट करता है. अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा, सपा और बसपा के बीच होने का अनुमान है. आइए आपको बताते हैं इन राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं के अलावा यूपी की सियासत को प्रभावित करने वाले कुछ और सूरमाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में हासिल की है कौन सी डिग्री.
अखिलेश यादव- समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजस्थान के धौलपुर स्थित मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की है. उन्होंने कर्नाटक के मैसूर विश्वविद्यालय से B.E Civil Environment की डिग्री हासिल की है. अखिलेश ने ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में भी पढ़ाई की है.
मायावती- चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं बसपा प्रमुख मायावती की सबसे बड़ी ताकत अनुसूचित जाति के उनके समर्थकों को माना जाता है. मायावती ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से बीए की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने गाजियाबाद के वीएमएलजी कॉलेज से बी.एड. और फिर साल 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की.
योगी आदित्यनाथ- उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार 5 बार गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. वो मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं और उन्होंने वहां के श्रीनगर स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की है.
जयंत चौधरी- पिता अजित सिंह के निधन के बाद इस बार उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल की जिम्मेदारी जयंत चौधरी के कंधों पर है. RLD को किसानों की पार्टी भी कहा जाता है, जिसका सबसे बड़ा आधार जाट वोटर हैं. राष्ट्रीय लोकदल भले ही पश्चिमी यूपी के देहात में मजबूत पकड़ रखती हो लेकिन पिता अजित सिंह की तरह जयंत ने भी विदेश से पढ़ाई की है. जयंत चौधरी पोस्ट ग्रेजुएट हैं. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस से अकाउंटिंग और फाइनेंस में M.Sc की डिग्री हासिल की है.
चंद्रशेखर- भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर एक लॉ ग्रेजुएट हैं. विवादों और सियासत में आने से पहले वो अनुसूचित समुदाय की शिक्षा के लिए काम करते थे. चंद्रशेखर युवा हैं, उनके लिए उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति के युवाओं में इसबार एक अलग क्रेज देखने को मिलने रहा है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि चंद्रशेखर इस बार मायावती को कई सीटों पर बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.
ओम प्रकाश राजभर- भाजपा का साथ छोड़ अखिलेश यादव की पार्टी से गठबंधन करने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष राजभर ने वाराणसी के बलदेव डिग्री कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की है. ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार में मंत्री रह चुके हैं लेकिन बाद में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. कहा जाता है कि ओम प्रकाश राजभर कभी जीवन यापन करने के लिए ऑटो चलाते थे. उनकी पार्टी का पूर्वी यूपी की कई सीटों पर प्रभाव माना जाता है.