Hyderabadi Haleem : आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी डिश की जो भारत के अलग अलग हिस्सों में अलग नाम से जानी जाती है वह डिश है हलीम (Hyderabadi Haleem). जो भी इसे एक बार खा लेता है उसकी जबान से इसका जायका कभी नहीं जाता और वो इंसान इसका दीवाना बन जाता है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में रमजान (Ramadan) के महीने में रोजा रखने वाले इफ्तार के दौरान इसे बेहद चाव से खाते हैं. हलीम को उत्तर भारत में खिचड़ा कहा जाता है. इन दोनों डिशेज से मिलती-जुलती एक डिश पारसियों की रसोई में पकाई जाती है जिसे धनसाक (Parsi Dhansak) कहते हैं.
Protein-Carbohydrates के गुड सोर्स हैं ये दोनों
हलीम या खिचड़ा मांस (Mutton Haleem or Mutton Khichda) और दालों के साथ मिलकर पकाई जाने वाली ऐसी डिश होती है जो अपने आप में एक पूरा मील (Complete Meal) है यानी इसे खाकर आपका पेट तो भर ही जाता है और साथ ही आपकी प्रोटीन और कार्बाेहाइड्रेट की जरूरतें भी पूरी हो जाती हैं. आपको इसका जायका लेने के लिए रोटी या चावल का सहारा लेने की दरकार नहीं होती. इसकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि समय और जरुरत के मुताबिक हम इसे ग्रहण करने की विधि खोज लेते हैं. शायद खाना बनाने वाले के पास बार-बार जाकर हांड़ी देखने की फुर्सत न हो और उसे खाना भी पौष्टिक बनाना हो तभी ऐसी चीजें तैयार की जाती हैं.
हलीम और खिचड़ा में क्या होता है अंतर?
आइए जानते हैं कि हलीम (Haleem recipe in Hindi) में क्या क्या डाला जाता है और इसे कैसे बनाया जाता है? हलीम में कई तरह की दालों जैसे अरहर, धुली मूंग, चने की दाल के साथ-साथ गेहूं का दलिया और जौ भी डाला जाता है. वहीं खिचड़ा (Khichda Recipe in Hindi) भी इन्हीं सारी सामग्रियों के साथ तैयार किया जाता है. हलीम की सबसे बड़ी खासियत है इसे पकाते हुए लगातार घोटा जाना. घोटे जाने के कारण मांस और दाल, दलिया सबकुछ आपस में बहुत अच्छी तरह से घुल मिल जाते हैं और इसके आपस में मिलते जाने से सभी सामग्रियां एक लय में बंध जाती हैं और स्वाद निखर कर सामने आ जाता है. उत्तर भारत का खिचड़ा भी बहुत हद तक इसी तरह से बनाया जाता है लेकिन उसमें दालों और दलियों के प्रकार और मात्रा अलग होती है. इसके साथ ही खिचड़े को हैदराबादी हलीम की तरह घंटों घोटा भी नहीं जाता.
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Haleem Festival हैदराबाद में होता है आयोजित
अगर आप कभी भी हैदराबाद जाएं तो आपको वहां बहुत सी दुकानों पर हलीम बिकता हुआ मिलेगा. रमजान के महीने में तो बहुत सी दुकानों में सिर्फ हलीम ही बेचती हैं. आपको यह जानकार हैरानी होगी कि रमजान के महीने में हैदराबाद और आसपास के इलाकों में कई प्रतियोगिताएं चलती हैं जिनमें इलाके की बेहतरीन हलीम चुनी जाती है. इससे आपको समझ में आ गया होगा कि हलीम का हैदराबाद में कैसा क्रेज है. उत्तर भारत में खिचड़े की दुकानें बहुत कम मिलती हैं. यह डिश आमतौर पर घरों में ही बनाई और खाई जाती हैं. ऐसा कहा जा सकता है कि अभी इसका हैदराबादी हलीम की तरह बाजारीकरण नहीं हुआ है.
Dhansak भी कर सकते हैं ट्राय
अब हलीम की ही जैसी एक पारसी डिश के बारे में बात करते हैं, जिसका नाम है - मटन धनसाक. धनसाक (Dhansak Recipe in Hindi) भी मांस ,दाल और दलिया आदि को मिलाकर बनाया जाता है. यह डिश हलीम से थोड़ी अलग है. इसमें मांस को दाल में पूरी तरह मिलाया नहीं जाता है. मांस को घोटा नहीं जाता. मांस के टुकड़े दाल से अलग दिखते हैं. अगर आप नॉनवेज प्रेमी हैं तो फिर आपको इन तीनों डिशेज को जरूर ट्राय करना चाहिए.
#फिशमैनबोलताहै
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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