डीएनए हिंदी: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने शुक्रवार को एक्सचेंज रेट में जारी अस्थिरता के कारण बाहरी ऋण चुकाने की क्षमता पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में कहा कि हमें डरने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारा बाहरी ऋण प्रबंधन योग्य है. डॉलर की मजबूती से हमारे लिए कोई समस्या नहीं है. साथ ही उन्होंने बैंकों को किसी भी तरह के परिसंपत्ति-देनदारी असंतुलन के प्रति आगाह किया.
उन्होंने कहा कि दोनों तरह के अंसतुलन वित्तीय स्थिरता के लिए हानिकारक हैं. उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली में जारी संकट इस तरह के असंतुलन से पैदा हुआ है. गवर्नर ने कहा कि घरेलू वित्तीय क्षेत्र स्थिर है और महंगाई का बुरा दौर पीछे छूट गया है. गौरतलब है कि डॉलर की कीमत बढ़ने के कारण उच्च बाहरी ऋण जोखिम वाले देशों के सामने चुनौतियां बढ़ी हैं.
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गवर्नर का अपने भाषण का ज्यादातर हिस्सा भारत की जी20 अध्यक्षता पर केंद्रित रहा. उन्होंने कहा कि दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह (जी20) को डॉलर की कीमत बढ़ने के कारण उच्च बाहरी ऋण जोखिम वाले देशों की मदद करने के लिए समन्वित प्रयास करने चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जी20 को सबसे अधिक प्रभावित देशों को जलवायु परिवर्तन वित्तपोषण देना चाहिए.
अमेरिकी बैंकों को लेकर कई ये बात
अमेरिकी बैंकिंग संकट पर उन्होंने कहा कि इससे मजबूत नियमों का महत्व पता चलता है, जो अत्यधिक परिसंपत्ति या देनदारी तैयार करने की जगह टिकाऊ वृद्धि पर जोर देते हैं. पिछले सप्ताह अमेरिका में दो मध्यम आकार के बैंक -सिलिकॉन वैली बैंक और फर्स्ट रिपब्लिक बैंक बंद हो गए थे. दास ने कहा कि मौजूदा अमेरिकी बैंकिंग संकट साफ तौर पर वित्तीय प्रणाली के लिए निजी क्रिप्टोकरेंसी के जोखिमों को दर्शाता है. वह निजी डिजिटल मुद्राओं के खुले आलोचक रहे हैं. (भाषा इनपुट के साथ)
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