Budget 2023: इस बार बजट में क्या होगा सस्ता और महंगा, इन 35 सामानों की बढ़ने वाली है कीमत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 01, 2023, 06:35 AM IST

Finance Minister Nirmala Sitharaman 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करने वाली है जिसमें कुछ बड़े फैसले लिए जा सकते हैं.

डीएनए हिंदी: 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण  मोदी सरकार का आखिरी पूर्णकालिक वित्तीय बजट पेश करने वाली हैं. इस दौरान  कई वित्तीय घोषणाएं की जा सकती हैं. कई मुद्दों पर जनता को राहत दी जा सकती है और कई चीजों के दाम बढ़ सकते हैं. ऐसे में महंगाई के मुद्दे पर जनता को बड़ा झटका लग सकता है. जानकारी के मुताबिक आत्मनिर्भर भारत की मुहिम को मजबूत और तेज करने के लिए इस बार के बजट में आयात किए जाने वाले कई तरह के सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान किया जा सकता है.

सरकार इस फैसले के जरिए देश में मेक इन इंडिया मुहिम को मदद मिलेगी और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा. आयात को कम करने और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार 35 सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी कर रही है. इनमें प्राइवेट जेट, हेलिकॉप्टर, हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक आइटम, प्लास्टिक के सामान, ज्वैलरी, हाई-ग्लॉस पेपर और विटामिन जैसे आइटम शामिल हैं.

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35 सामानों की बढ़ेगी कीमत

रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार की जिन सामानों पर कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) बढ़ाने की योजना है, उनकी लिस्ट अलग-अलग मंत्रालयों से मिली है. समीक्षा के दौरान अभी तक सरकार ने 35 आइटम्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने का मन बना लिया है. इसकी एक वजह है कि इन सामानों के भारत में निर्माण को बढ़ावा देने के लिए इनके आयात को महंगा किया जा रहा है.

दिसंबर में मांगे थे सुझाव

बता दें कि दिसंबर में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कई मंत्रालयों से उन आयातित गैर-जरूरी सामानों की लिस्ट बनाने के लिए कहा था जिन पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है. जानकारी के मुताबिक जुलाई- सितंबर तिमाही में चालू खाते का घाटा 9 महीने के उच्चतम स्तर 4.4 फीसदी पर पहुंच गया था. चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी की आशंका बरकरार है.

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GDP में हो सकती है अहम भूमिका

गौरतलब है कि बढ़ते इम्पोर्ट बिल के खतरे के अलावा, एक्सपोर्ट पर भी 2023-24 में महंगाई का दबाव पड़ने की आशंका है. Local Demand ने जिस तरह से एक्सपोर्ट ग्रोथ को पछाड़ा है उससे अनुमान है कि मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट 25 अरब डॉलर प्रति महीना रह सकता है. ये आंकड़ा चालू खाते के घाटे को GDP के 3.2 से 3.4 फीसदी के बराबर रखने में कामयाब हो सकता है.

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