डीएनए हिंदीः साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry Dies) इस दुनिया में नहीं रहे. कार एक्सिडेंट में उनका देहांत हो गया. वैसे वो काफी कम उम्र में अपना फैमिली बिजनेस ज्वाइन कर लिया था उसके बाद वो टाटा ग्रुप (Tata Group) के बोर्ड में शामिल हुए और जल्द ही वो टाटा ग्रुप के डिप्टी चेयरमैन भी बन गए. यहां से उन्होंने रफ्तार पकड़ी और देश के सबसे बड़े कारोबारी ग्रुप के चेयरमैन भी बन गए. फिर शुरू हुआ उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा विवाद, जिसे देश का सबसे बड़ा कॉरपोरेट डिस्प्यूट (India Biggest Corporate Dispute) भी माना जाता है. उनका सीधा सामना रतन टाटा से था. आइए आपको भी उनके कारोबारी जिंदगी का जिक्र शुरूआत से करते हैं.
मात्र 38 साल की उम्र में टाटा बोर्ड में मिली थी एंट्री
1991 में, उन्होंने कंस्ट्रक्शन कंपनी शापूरजी पल्लोनजी एंड कंपनी लिमिटेड के डायरेक्टर बनकर फैमिली बिजनेस में एंट्री की. पल्लोनजी मिस्त्री टाटा ग्रुप के बोर्ड में भी बैठे. 2006 में, पल्लोनजी टाटा समूह के बोर्ड से रिटायर्ड हुए और उनकी जगह 38 वर्षीय साइरस ने ली. 2011 में, साइरस को टाटा समूह का डिप्टी चेयरमैन बनाया गया था, जिसका स्पष्ट लक्ष्य एक साल बाद रतन टाटा की रिटायरमेंट पर अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण करना था, जिन्होंने 1991 से समूह का नेतृत्व किया था.
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साल 2012 में साइरस बने टाटा ग्रुप के चेयरमैन
2012 में, साइरस ने आधिकारिक तौर पर टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में रतन टाटा की जगह ली. अध्यक्ष के रूप में मिस्त्री का कार्यकाल अक्टूबर २०१६ तक चला, जब उन्हें अचानक बर्खास्त कर दिया गया. साइरस, जो टाटा संस के छठे अध्यक्ष थे, को अक्टूबर 2016 में पद से हटा दिया गया था. एन चंद्रशेखरन ने बाद में टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला.
किन बातों को लेकर बढ़ा विवाद
मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार साइरस मिस़्त्री और रतन टाटर के बीच कई बातों को लेकर तकरार रही. जिसमें टाटा ग्रुप चुनाव के लिए चंदा कैसे दे? कौन से प्रोजेक्ट और किस प्रोजेक्ट में कैसे इंवेस्टमेंट किया जाए? क्या टाटा ग्रुप को अमेरिकी फास्ट फूड चेन से जुड़ना चाहिए? जैसे इश्यू खड़े हुए और मनमुटाव के साथ विवाद भी गहराते रहें. जिसकी वजह से साइरस चेयरमैन पद से हटा दिया गया और मामला कोर्ट में चला गया.
पांच साल बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने विवाद को टाला
मार्च 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के दिसंबर 2019 के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसने साइरस को टाटा संस लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में बहाल किया था. एसपी ग्रुप और साइरस मिस्त्री ने अप्रैल 2021 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें 26 मार्च के फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी, जिसमें टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में उन्हें हटाने के फैसले का समर्थन किया गया था. लेकिन इस साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा बनाम मिस्त्री कानूनी मामले में साइरस की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया.
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