डीएनए हिंदी: वित्त वर्ष 2023-24 के एक अप्रैल से 17 जून के बीच भारत के डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है. चालू वित्त वर्ष में 10 अगस्त तक कुल डायरेस्ट टैक्स कलेक्शन 15.73 प्रतिशत बढ़कर 6.53 लाख करोड़ रुपये हो गया है. आयकर विभाग ने शुक्रवार को कहा कि ‘रिफंड’ समायोजित करने के बाद नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 5.84 लाख करोड़ रुपये रहा है. यह पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 17.33 प्रतिशत अधिक है.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बयान में कहा, 'प्रत्यक्ष कर संग्रह का 10 अगस्त, 2023 तक का अस्थायी आंकड़ा बताता है कि टैक्स कलेक्शन में अच्छी वृद्धि हुई है.' टैक्स कलेक्शन वित्त वर्ष 2023-24 के प्रत्यक्ष कर संग्रह के बजटीय अनुमान का 32.03 प्रतिशत है. चालू वित्त वर्ष में 10 अगस्त तक 69,000 करोड़ रुपये का ‘रिफंड’ जारी किया गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में लौटाई गई राशि के मुकाबले 3.73 प्रतिशत अधिक है.
12 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी
वित्त-वर्ष 2023-24 के लिए ग्रॉस कलेक्शन पिछले वित्तीय वर्ष की इस अवधि में 3,71, 982 करोड़ रुपये की तुलना में 4,19,338 करोड़ रुपये रहा है. पिछले साल से इस अविध में इसमें 12.73 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. ग्रॉस कलेक्शन में 1,87,311 करोड़ रुपये सीआईटी और एसटीटी समेत 2,31,391 करोड़ रुपये का पीआईटी शामिल है. रिफंड राशि 17 जून तक 39,578 करोड़ रुपये रही. ये पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 30 फीसदी अधिक है.
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IMF में कोटा समीक्षा जल्द पूरा करने की जरूरत: RBI
वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) में ‘कोटा’ की समीक्षा जल्द पूरा करने की जरूरत है. उन्होंने कहा है कि इससे आईएमएफ संकट में फंसे देशों की मदद और बेहतर तरीके से कर सकेगा. वित्त मंत्रालय और आरबीआई द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि हाल के अनुभवों से पता चलता है कि पहुंच की कमी की वजह से वित्तीय संकट के समय देश आईएमएफ के बजाय अन्य निकायों से मदद मांगते हैं.
दास ने कहा कि किसी देश को आईएमएफ का समर्थन उस देश के ‘कोटा’ पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा, ‘16वीं सामान्य कोटा समीक्षा के साथ कामकाज के संचालन से संबंधित मुद्दों को तेजी से पूरा किए जाने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हरित (पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों) की ओर बदलाव के वित्तीय प्रभाव की अनदेखी नहीं की जा सकती है. RBI गवर्नर ने उभरते देशों को हरित पूंजी के प्रवाह को तत्काल बढ़ाने की जरूरत भी बताई. उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर ऋण आंकड़े साझा करने के लिए एक वैश्विक मंच विकसित करने की जरूरत है.
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