डीएनए हिंदी: नई सैन्य भर्ती योजना -अग्निपथ योजना (Agnipath Recruitment Entry Scheme) की घोषणा के बाद देश के कई राज्यों में युवाओं का धरना प्रदर्शन जारी है. धरना प्रदर्शन वालों के आक्रोश का अक्सर सार्वजनिक संपत्तियों पर फूटता है. इन्ही सार्वजनिक संपतियों में से एक रेलवे (Indian Railway) को लगातार प्रदर्शनकारियों के गुस्से का शिकार होता रहा है. धरना प्रदर्शन के कारण पिछले 6 सालों में ही देश की रेलवे को करीब 5000 करोड़ के मालभाड़े का नुकसान हो चुका है. खास बात तो ये है कि इस योजना के विरोध प्रदर्शन में 500 करोड़ रुपये ज्यादा रेलवे के डूब चुके हैं.
पिछले 6 सालों में 4736 करोड़ का नुकसान
रेलवे मंत्रालय ने सदन को बताया था कि रेलवे प्लेटफार्म और ट्रैक पर धरने प्रदर्शन की रेलवे को भारी कीमत चुकानी पड़ती है. पिछले 6 सालों में रेलवे ने सिर्फ मालभाड़े में 4736 करोड़ का नुकसान हुआ है. इसके साथ अगर अगर रेलवे की संपतियों को नुकसान और यात्री भाड़े का जोड़ें तो आकंड़ा कही ज्यादा होगा. इसके साथ डाटा बताता है कि ये खतरनाक ट्रेंड भी बनता जा रहा है. 2015-16 से 2017-18 के बीच के 3 सालों में कुल 1846 करोड़ के मालभाड़े का नुकसान हुआ था. वहीं 2018-19 से 2020-21 के तीन सालों में ये डेढ गुना बढ़कर 2890 करोड़ तक पहुंच गया है.
अग्निपथ के विरोध में हुआ 500 करोड़ रुपये ज्यादा का नुकसान
सूत्रों के अनुसार अग्निपथ के विरोध में जारी प्रदर्शनों के कारण अब तक करीब 500 करोड़ से ज्यादा का नुक्सान सिर्फ रेलवे को पहुंचा है. आगजनी के कारण देश भर में करीब 100 कोच का नुकसान हुआ है. एक कोच की अनुमानित लागत करीब 2 करोड़ होती है. यानि करीब 200 करोड़ के रेलवे कोच स्वाहा हो गए हैं. इसके अलावा रेलवे के 7 इंजन भी जले हैं, प्रत्येक इंजन की कीमत तकरीबन 15 करोड़ होती है. अभी तक कुल मिलाकर 105 करोड़ रुपए के ईंजन भी जले हैं. इसके अलावा रेल ट्रेक और रेलवे स्टेशन को करीब 200 करोड़ का नुकसान का अंदाजा लगाया जा रहा है. हालांकि इस नुक्सान में अभी रेलवे को ट्रेन रद्ध करने के कारण होने वाले यात्री भाड़े और मालभाड़े का नुकसान का अभी अनुमान शामिल नहीं किया गया है.
रेलवे ने अब तक रद की 500 से ज्यादा ट्रेन
शनिवार को रेलवे ने 369 ट्रेनों को रद करने का फैसला किया. जिस कारण यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा इससे पहले शुक्रवार को भी 200 से ज्यादा ट्रेनों को रद्ध करना पड़ा था. ‘अग्निपथ’ के खिलाफ आंदोलन कर्नाटक और केरल सहित दक्षिणी राज्यों में भी फैल गया है.
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