डीएनए हिंदी: आज के दिखावे के दौर में अलग-अलग कंपनियां अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए अनेक तरह के विज्ञापन निकालती हैं लेकिन कई बार ये विज्ञापन पूरी तरह भ्रामक होते है. ऐसे में ग्राहक खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं लेकिन अब ऐसे भ्रामक विज्ञापन (Misleading Advertisement) निकालने वालों की मुश्किलें बढ़ने वाली है क्योंकि इन भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए सरकार ने नियमों में बड़ा बदलाव किया हैय.
अब ग्राहकों को बरगलाने वाले विज्ञापन चलाना आसान नहीं रहेगा. इसके लिए सरकार की तरफ से Misleading Ad and Misleading Endorsement Guidelines जारी की गई हैं. इस गाइडलाइन को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है. ऐसे में अब ग्राहकों को झूठ बोलकर नहीं ठगा जा सकेगा.
सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइंस का मकसद ग्राहकों के हितों की रक्षा करना, अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस पर लगाम लगाना और भ्रामक दावों पर कार्रवाई करना है. सरकार की तरफ से यह भी बताया गया कि कोरोना महामारी के दौरान तमाम भ्रामक विज्ञापन पर कार्रवाई की गई है.
प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में गलत जानकारी देने वाला विज्ञापन मिसलीडिंग के दायरे में आता है. यदि कंपनी की तरफ से ऐसा कोई भी दावा किया जाता है जो प्रोडक्ट से मेल नहीं खाता तो वह भ्रामक विज्ञापन कहलाएगा. इसके अलावा यदि प्रोडक्ट के बारे में जरूरी जानकारी छिपाई जा रही है तो यह भी मिसलीडिंग के दायरे में आएगा.
गाइडलाइन में यह भी कहा गया कि बच्चों के लिए किसी भी तरह के गैर वाजिब क्लेम पर पाबंदी होगी. ऐसा होने पर एंडोर्समेंट और एंडोर्सर दोनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही विज्ञापन के साथ डिस्क्लेमर को भी साफ-साफ बताना होगा. गाइडलाइन के तहत सेरोगेट विज्ञापन (Surrogate Advertising) पर रोक लगाई गई है. किसी भी विज्ञापन में जल्द खरीदने के लिए नहीं कहा जा सकता है.
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इसके अलावा विज्ञापन में यदि कंपनी स्पेशल ऑफर या आधे रेट का दावा कर रही है तो इसके लिए उसे पर्याप्त स्टॉक रखना होगा. कई बार ऐसा देखने में आया है कि कंपनी इस तरह के ऑफर देने के बाद स्टॉक खत्म होने की बात कहती है.
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