डीएनए हिंदी: भारत को अगर तेल से चलने वाला देश कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. ज़मीन से निकलने वाले कच्चे तेल (Crude Oil) से निकलने वाले उत्पादों जैसे कि डीज़ल, पेट्रोल की बात हो या घरेलू और कमर्शियल खपत के लिए इस्तेमाल होने वीली सीएनजी, पीएनजी और एलपीजी गैस. इन्हीं सबसे देश का परिवहन, देश की फैक्ट्रियां और अन्य कई चीजें संचालित होती हैं. ऐसे में कच्चे तेल के साथ-साथ डीज़ल-पेट्रोल की कीमतें (Diesel-Petrol Prices) देश के विकास की रफ्तार को प्रभावित करती हैं. बीते कुछ सालों में तेल के दाम में लगातार बढ़ोतरी होने के बावजूद तेल की मांग (Fule Demand) बढ़ती ही जा रही है. आंकड़े इस बात को साबित कर रहे हैं कि दाम बढ़ने के बावजूद भारत में तेल की मांग कम नहीं होनी है.
पिछले साल की तुलना में इस साल के जून महीने को देखें तो भारत में तेल की डिमांड 17.9% बढ़ गई है. आपको बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है. तेल की बढ़ती मांग बता रही है कि अब भारत में कोरोना काल से पहले की तरह की तेल की खपत होने लगी है. रूस-यूक्रेन के युद्ध की वजह से दुनियाभर में तेल की कमी और महंगाई फैल गई है लेकिन भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीद लिया है.
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बढ़ रही है भारत के लोगों की खरीद क्षमता
रिपोर्ट के मुताबिक, मई-सितंबर 2021 में भारत में डीजल और गैसोलीन की मांग तुलनात्मक रूप से कम थी लेकिन अगले कुछ ही महीनों में यह मांग कोरोना काल से पहले के स्तर पर आ जाएगी. महंगाई के बावजूद भारतीय नागरिकों की खरीदने की क्षमता बढ़ रही है. पिछले दो सालों में भारत में डीजल की खपत 23.9 प्रतिशत बढ़कर 76.8 लाख टन तक पहुंच गई है.
कुछ यूं बढ़ी है डीजल-पेट्रोल की मांग
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जून 2022 |
मई 2022 |
अप्रैल 2002 |
जून 2021 |
मई 2021 |
अप्रैल 2021 |
डीज़ल |
76.8 |
72.9 |
72.0 |
62.0 |
55.3 |
66.8 |
पेट्रोल |
29.7 |
30.2 |
28.0 |
24.1 |
19.9 |
23.9 |
एलपीजी |
22.3 |
21.7 |
21.6 |
22.5 |
21.6 |
21.1 |
*सभी आंकड़ें लाख टन में
वहीं, पेट्रोल की मांग में भी 23.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और कुल खपत 29.7 लाख टन तक पहुंच गई है. जून के पहले दो हफ्तों में भारत में गैस और तेल की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ. दरअसल, लोगों को लगा कि पेट्रोल-डीजल की सप्लाई रुक सकती है इसलिए लोगों ने पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी लाइनें लगा लीं.
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भारत ने रूस से सस्ते में खरीदा तेल
यूरोप ने रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस से कच्चा तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसी का फायदा उठाते हुए भारत ने कम दाम पर रूस से कच्चा तेल खरीद लिया. कच्चा तेल खरीदने के मामले में भारत के निजी क्षेत्र की कंपनियां रिलायंस और नयारा सबसे आगे रही हैं.
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