डीएनए हिंदीः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को कहा कि भारत ने महंगाई को रोकने के लिए प्रतिबंधों के बीच रूस से रियायती दर पर कच्चे तेल का आयात (Crude Oil Import) बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें (Crude Oil Price) किसी के भी सामर्थ्य से बाहर जा रही थीं, ऐसी स्थिति में रूस से तेल खरीदने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साहस का मैं सम्मान करती हूं. रूस कच्चे तेल को छूट पर देने के लिए तैयार हैं और हमने तेजी से इसका प्रबंध किया.’’ सीतारमण ने आर्थिक शोध संस्थान इंडिया काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) की तरफ से आयोजित सम्मेलन में यह बात कही.
13 फीसदी रूस आ रहा है कच्चा तेल
उन्होंने कहा कि महंगाई को नियंत्रण में करने के उपायों के रूप में देश ने कुछ महीनों में पेट्रोलियम उत्पादों के कुल लदान में रूस से कच्चे तेल के आयात को बढ़ाकर 12 से 13 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले लगभग दो प्रतिशत था.’’ उल्लेखनीय है कि यूक्रेन के साथ युद्ध के चलते पश्चिमी देशों ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं. ऐसे में भारत समेत कई देशों ने रियायती कीमतों पर कच्चा तेल और गैस खरीदने के लिए रूस के साथ द्विपक्षीय समझौता किया है.
Google Pay App से कई UPI ID के थ्रू कर सकते हैं ट्रांजेक्शन, जानिए पूरा प्रोसेस
रूस से कच्चा तेल पीएम की देन
सीतारमण ने कहा, ‘‘रूस से कच्चे तेल का आयात सुनिश्चित करने के लिए मैं प्रधानमंत्री की राजनीति को श्रेय देती हूं. हमने सभी देशों के साथ अपने संबंध बनाए रखे और प्रतिबंधों के बीच रूस से कच्चे तेल प्राप्त करने का प्रबंधन किया. यह भी महंगाई को नियंत्रण में करने के उपायों का हिस्सा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अभी भी कई देश (जापान और इटली सहित) रूस से कच्चा तेल और गैस प्राप्त करने के लिए अपना रास्ता खोज रहे हैं.’’
Hyundai Car Price Hike: फेस्टिव सीजन से पहले आपकी फेवरेट कार हुई महंगी, जानें कितनी जेब करनी होगी ढीली
100 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था कच्चा तेल
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गयी है जिससे वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ी है. इससे कच्चे तेल के आयात पर निर्भर देश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. भारत भी अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए तेल उत्पादक देशों पर अधिक निर्भर है. देश कुल ऊर्जा जरूरतों का 80 से 85 प्रतिशत विदेशों से आयात करता है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और कच्चे तेल आयातक है.