Rice Price: चावलों की बढ़ी हुई कीमतों से मिलेगी राहत, सरकार ने लिया बड़ा फैसला

Written By मनीष कुमार | Updated: Aug 26, 2023, 12:41 PM IST

Rice Price Hike

Export Duty On Parboiled Rice: भारतीय अनाज और सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण सरकार ने हाल ही में कई सारे कड़े फैसली लिए हैं. अब चावलों की कीमतों को नीचे लाने के लिए सरकार ने उबले चावल के निर्यात पर 20% शुल्क लगा दिया है.

डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार ने उबले चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाकर चावल निर्यात को प्रतिबंधित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. सरकार द्वारा इसे तत्काल लागू करने का निर्देश दिया गया है. नोटिफिकेशन के अनुसार, घरेलू बाजार में उच्च कीमतों के चलते सरकार ने विदेशी निर्यात पर कई प्रतिबंध लगाए हैं. 20 जुलाई को, दुनिया के सबसे बड़े अनाज निर्यातक भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. परिणामस्वरूप, फूड और एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) की ओर से ग्लोबल लेवल पर मापा गया चावल मूल्य सूचकांक (Rice Price Index)  12 साल के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था.

घरेलू बाजार में चावल की बढ़ेगी मात्रा
जब भारत की ओर से टैरिफ लगाने पर विदेशी उपभोक्ताओं के लिए उबला हुआ चावल अधिक महंगा हो जाएगा, जिससे बिक्री कम हो जाएगी और घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति बढ़ जाएगी. उत्पादन में वृद्धि के कारण, पिछले महीने उबले चावल के निर्यात में अचानक तेजी आई थी.

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अनाज भंडारण पर सरकार का जोर
घरेलू बाजार में अनाज की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार के इस फैसले से इस साल चावल के उत्पादन में गिरावट भी आ सकती है. अल नीनो मौसम पैटर्न के कारण असंतुलित मानसून के बारे में चिंताओं के परिणामस्वरूप, सरकार ने घरेलू खाद्य भंडार के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है.

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बढ़ती अनाज कीमतों को लेकर सरकार की रणनीति
अनाज की बढ़ती कीमतों के चलते सरकार ने दो रणनीतियां तैयार की हैं. पहली रणनीती के तहत सरकार ने एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लागू किए हैं. वहीं दूसरी रणनीति के मद्देनजर सरकार अपने अन्न भंडार से कुछ स्टॉक भी समय-समय पर बाजार में लोगों के लिए लेकर आ रही है. हाल ही में 50 टन गेहूं और 25 टन चावल नीलामी के माध्यम से जारी किया जाना था. इसके अलावा सरकारी अधिकारियों ने चावल के आरक्षित मूल्य को 31 रुपये से कम करके 29 प्रति किलोग्राम कर दिया है.

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