डीएनए हिंदी: डीएनए हिंदी: 8 नवंबर का रात 8 बजे वाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण कोई नहीं भूल सकता है जिस दिन 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का ऐलान किया गया था. इसके 6 साल पूरे होने वाले हैं. नोटबंदी के पीछे एक बड़ा तर्क यह था कि इससे लोग ज्यादा से ज्यादा डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करें लेकिन बड़ी बात यह है कि नोटबंदी के समय से ज्यादा कैश तो आज के वक्त में देश की जनता अपनी जेब में लेकर घूम रही है. इसको लेकर रिजर्व बैंक ने बताया है कि देश की जनता के पास कुल 30.88 लाख करोड़ रुपये का कैश है.
साल 2016 के नवंबर माह में जब मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी का ऐलान किया गया था तो उस दौरान ही यह सामने आय़ा था कि देश में जनता के पास करीब 17 लाख करोड़ से ज्यादा की नकदी थी लेकिन अब 6 सालों में यह नकदी 17 से करीब 31 लाख करोड़ तक पहुंच चुकी हैं. जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के दो हफ्ते बाद 25 नवंबर 2016 को 9.11 लाख करोड़ रुपये जनता के पास नकद थे लेकिन अब इसमें 239 फीसदी की वृद्धि हुई है.
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इस मामले में सामने आया है कि RBI के आंकड़ों के अनुसार 21 अक्टूबर 2020 को समाप्त हुए पखवाड़े में दिवाली की पूर्व संध्या पर जनता के पास नकदी के रूप में 25,585 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. साल दर साल इसमें 9.3 फीसदी यानी 2.63 लाख करोड़ रुपये का इजाफा होता ही जा रहा है और लोग धड़ल्ले से नकदी का इस्तेमाल कर रहे हैं जो दिखाता है कि अभी भी लोगों का भरोस कैश पर डिजिटल पेमेंट की अपेक्षा कहीं ज्यादा ही है.
वहीं एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जो कैश नवंबर 2016 में 17 लाख करोड़ के करीब था. वहीं कैश जनवरी 2017 में औंधे मुंह गिरकर 7 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया था. इस दौरान लोग खूब डिजिटल पेमेंट कर रहे थे. इसका फायदा पेटीएम और फोन पे जैसी फिनटेक कंपनियों को मिला था लेकिन अब फिनटेक कंपनियों को बड़ा झटका लगता जा रहा है क्योंकि जनता कैश का फिर से ज्यादा इस्तेमाल कर रही है.
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आपको बता दें कि जनता के पास कैश की गणना कुल चलन (CIC) मुद्रा से बैंकों के पास नकदी की कटौती के बाद की जाती है. सिस्टम में नकदी लगातार बढ़ रही है. भले ही सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कैश लेस, भुगतान के डिजिटलीकरण और विभिन्न लेनदेन में नकदी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने पर जोर दिया है लेकिन जमीनी स्तर पर कैश का उपयोग असल में पहले से भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.
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