डीएनए हिंदी: लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी की सरकार अपना आखिरी बजट अगले साल फरवरी महीने की पहली तारीख को पेश करेगी. वैश्विक अस्थिरता और महंगाई के बीच देशवासियों की निगाहें वित्तमंत्री की ओर होंगी कि आम जनता को किस तरह राहत मिलेगी. चुनाव से पहले यह आखिरी पूर्ण बजट होगा इसलिए कुछ लोक लुभावन घोषणाओं की भी उम्मीद की जा रही है. संभावनाएं जताई जा रही हैं कि विकास को रफ्तार देने और मूलभूत ढांचे के विकास को ज्यादा प्राथमिकता दी जा सकती है और इसी के लिए सबसे ज्यादा आवंटन भी किया जा सकता है.
देश के बजट में पूरे साल में होने वाली कमाई, खर्च, कर्ज आदि का जिक्र किया जाता है. पिछले साल में हुए खर्च और कमाई का हिसाब-किताब किया जाता है. इसके अलावा, आने वाले साल में होने वाली अनुमानित कमाई और खर्च के बारे में भी बताया जाता है. साथ ही, सरकार यह भी बताती है कि वह कहां-कहां से पैसे कमाएगी और इन पैसों को किन-किन कामों खर्च किया जाएगा. आइए समझते हैं कि बजट को कौन तैयार करता है और इसे कैसे तैयार किया जाता है.
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कैसे बनता है बजट?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट तैयार करने के लिए अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के साथ बजट से पहले वाली मीटिंग भी कर चुकी हैं. ये मीटिंग बजट की तैयारियों का ही हिस्सा होती हैं. बजट बनाने से पहले वित्त मंत्री राजस्व विभाग, देश के उद्योग संघों, वाणिज्य मंडल, किसान संघ, ट्रेड यूनियन जैसे अलग-अलग सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा करती हैं. इसके अलावा, सभी मंत्रालयों, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त निकायों और रक्षा बलों को सर्कुलर भी जारी किया जाता है.
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इस सर्कुलर में सभी से आगामी वित्त वर्ष के दौरान उनके अनुमानित खर्च के बारे में पूछा जाता है. इसी के हिसाब से पैसे बांटने पर चर्चा की जाती है. इसे तय करने के लिए वित्त मंत्रालय अन्य मंत्रालयों के साथ बैठक करके एक ब्लूप्रिंट तैयार करता है. इसके बाद सत्री मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी फंड के लिए वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा करते हैं. ये सारे काम देश के वित्त मंत्री और वित्त विभाग के मुख्य सचिव की निगरानी में होते हैं. साथ ही, सरकार के मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री को भी समय-समय पर इनके बारे में जानकारी दी जाती है.
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