रुपया हो रहा मजबूत, सरकार ने UAE से इंपोर्ट किए कच्चे तेल की भारतीय करेंसी में की पेमेंट

मनीष कुमार | Updated:Aug 16, 2023, 10:34 AM IST

हाल ही में भारत ने यूएई से तेल खरीदा जिसकी पेमेंट भारतीय रुपयों में की गई. जानें क्या है इसके पीछे की वजह.

डीएनए हिंदी: हाल ही में अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (NDNOC) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने हाल ही में लागू स्थानीय मुद्रा निपटान (local currency settlement) प्रणाली के तहत पहली बार कच्चे तेल का लेनदेन किया. इस डील में लगभग 1 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल की बिक्री हुई. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भारतीय दूतावास की एक प्रेस रिलीज अनुसार, लेनदेन में भारतीय रुपये और यूएई दिरहम दोनों का इस्तेमाल किया गया था. भारत और यूएई के बीच मजबूत तेल और गैस को लेकर मजबूत संबंध हैं. यूएई भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी है. पेट्रोलियम और पेट्रोलियम प्रोडक्ट भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच द्विपक्षीय व्यापार की रीढ़ हैं.

LCS की हुई स्थापना
यूएई, भारत को एलएनजी और एलपीजी का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जो देश का चौथा सबसे बड़ा कच्चे तेल का सप्लायर भी है. प्रेस नोट के अनुसार, दोनों देशों ने पिछले साल 35.10 अरब डॉलर के पेट्रोलियम उत्पादों का आदान-प्रदान किया, जो सभी द्विपक्षीय व्यापार का 41.4 प्रतिशत था. एलसीएस तंत्र की स्थापना 15 जुलाई, 2023 को की गई थी. LCS की स्थापना के लिए पीएम मोदी (PM Modi) , यूएई प्रेसिडेंट और अबू धाबी के शासक मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने एक रूपरेखा तंत्र स्थापित करने के लिए एक MOU पर साइन किए. जिससे सीमा पार लेनदेन में स्थानीय मुद्राओं का उपयोग हो सके.

ये भी पढ़ें: पाकिस्तान में एक तोले सोने की कीमत में आ जाएगी कार, जानें कितना है दाम

MOU के तहत भारत ने खरीदा सोना
एमओयू का आदान-प्रदान 15 जुलाई को हुआ, जो एलसीएस के तहत पहले बड़े लेनदेन की तारीख भी थी. अब जो तेल का लेनदेन हुआ था उसमें एक महत्वपूर्ण सोने के निर्यातक के रूप में यूएई से भारत में एक खरीदार को लगभग 12.84 करोड़ रुपये में 25 किलोग्राम गोल्ड बेचना भी शामिल था.

ये भी पढ़ें: भारत का रूस से आयात दोगुना होकर 20.45 अरब डॉलर पर पहुंचा, ये है वजह

LCS से फायदा और उसके उद्देश्य
यह भारत में पहला एलसीएस है और इससे लेनदेन के समय और लागत के कम होने के साथ-साथ लोकर करेंसी पर निर्भरता में बढ़ने की उम्मीद है. इससे सीईपीए से मिली अधिमान्य शर्तों में और सुधार होगा. आपसी सहमति पर, व्यापारी भुगतान के लिए करेंसी का चयन कर सकता है. इसके अतिरिक्त, लोकल करेंसी, सरप्लस बैलेंस को स्थानीय मुद्रा परिसंपत्तियों जैसे कॉर्पोरेट बांड, सरकारी प्रतिभूतियां, खरीद बाजार आदि में निवेश किया जा सकता है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

uae India Petrol LCS