डीएनए हिंदी: शनिवार को ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने कहा कि तेजी से शहरीकरण, बढ़ती खर्च योग्य आय और बदलते उपभोग पैटर्न के कारण भारतीय खाद्य और पेय पैकेजिंग उद्योग 2029 में 86 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. यह उद्योग प्रति वर्ष 14.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन, पश्चिमी क्षेत्र के अध्यक्ष प्रबोध हल्दे ने फूड इंग्रीडिएंट्स (फाई इंडिया) और प्रोपैक इंडिया के आखिरी दिन एक बयान में कहा, "कोविड-19 के बाद प्राकृतिक खाद्य सामग्री की मांग बढ़ गई है. न्यूट्रास्यूटिकल्स और जैविक खाद्य पदार्थों के लिए FSSAI के नए नियम इस क्षेत्र में विकास को गति दे रहे हैं.
20 हजार करोड़ का मार्केट कैप
17-19 अगस्त तक इंफॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया द्वारा आयोजित फूड इंग्रीडिएंट्स (फाई इंडिया) और प्रोपैक इंडिया के 5वें संस्करण में, उन्होंने कहा कि संगठित पैकेज्ड सामग्री बाजार का मूल्य सालाना लगभग 20,000 करोड़ रुपये है, जो खुले उत्पादों से पैकेज्ड उत्पादों की ओर बदलाव का संकेत देता है. ProPak India में 85 एग्जीबिटर्स और 300 ब्रांडों ने भाग लिया, जबकि Fi India में 230 से अधिक एग्जीबिटर्स और 1,000 से अधिक ब्रांडों ने भाग लिया. नीदरलैंड, डेनमार्क, फ्रांस, बेल्जियम, अमेरिका, पोलैंड, जापान, हांगकांग, सिंगापुर और थाईलैंड के कलाकारों ने एग्जीबिशन में भाग लिया.
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2022 में 32 बिलियन डॉलर की रहा कारोबार
प्रबोध हल्दे ने कहा कि भारतीय खाद्य और पेय पैकेजिंग उद्योग (Indian Food & Beverage Packaging Industry) की वैल्यू 2022 में 32 बिलियन डॉलर है और 2029 तक 14 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर 86 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है. प्लास्टिक-मुक्त और मोनो-पैकेजिंग सामग्री की ओर बदलाव स्थिरता के लिए उद्योग का समर्पण दिखाता है.उनका कहना था कि 2024 तक इस क्षेत्र में 9 मिलियन नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है, और 2030 तक भारत की वार्षिक घरेलू खपत (Annual Household Consumption) चार गुनी हो जाएगी, जिससे वह दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा उपभोक्ता बन जाएगा.
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इनोवेटिव प्रोडक्ट पर ध्यान देने की जरूरत
प्रबोध हल्दे हाल्दे ने कहा कि उद्योग को उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए विशेष रूप से जैविक और स्वास्थ्य खाद्य क्षेत्रों में नए और इनोवेटिव प्रोडक्ट बनाने पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र का आकार लगभग 322 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है और 14.6 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ते हुए 2025 तक इसके 543 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.
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