Indian Railways: रेलवे कमर्शियल यूज के लिए लीज पर देगी जमीन, 7,500 करोड़ की होगी कमाई

Written By मनीष कुमार | Updated: Aug 19, 2023, 08:24 AM IST

रेलवे 84 प्रॉपर्टीज को लीज करके 7,500 करोड़ रुपये कमाने की योजना बना रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या है यह योजना.

डीएनए हिंदी:  भारतीय रेलवे (Indian Railways) अपने रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए एक नई योजना बनाई है. इस नई योजना के अनुसार 84 अतिरिक्त भूखंडों को पट्टे पर देकर, इंडियन रेवेल को अगले 18 महीनों में 7,500 करोड़ रुपये से अधिक जुटाने की उम्मीद है. सरकार जल्द ही इसके लिए कारोबारी खरीदारों को आमंत्रित करेगी. रेल भूमि विकास प्राधिकरण (RLDA), जो लैंड मोनेटाइजेशन योजना का एक हिस्सा है ने एक रिपोर्ट में इस कदम को उठाने की बात कही है. विकास के लिए प्राधिकरण को सौंपे गई 119 कॉमर्शियल साइट में से 35 के लिए पहले ही बोलियां प्राप्त हो चुकी हैं, जिनकी लीजहोल्ड वैल्यू 2,835 करोड़ रुपये है. रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे बाकी की साइट्स को भी जल्द ही लीज करने की प्रक्रिया में तेजी से लगी हुई है. इन साइट्स में कुछ महानगर और प्रमुख शहर हैं, जहां पर्यटकों की आवाजाही रहती है.

2025 तक लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद
इन जमीनों पर पट्टे का काम वित्त वर्ष 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है. इस लैंड के कॉमर्शियल लीज से रेलवे को पट्टे की अवधि के लिए वार्षिक पट्टा किराया प्राप्त करने में मदद करेगा, जो 45 से 99 वर्ष तक अलग-अलग हो सकता है.

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अबतक इतने पैसे जुटा चुका है रेलवे
वित्त वर्ष 2021 में रेलवे द्वारा केवल 133 करोड़ रुपये की संपत्ति का लैंड मोनेटाइजेशन किया गया था. फिर, वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 में 655 करोड़ रुपये और 3,000 करोड़ रुपये का लैंड मोनेटाइजेशन किया गया. लाइव मिंट की एक रिपोर्ट में के मुताबिक प्रमुख भूमि पार्सल का व्यावसायिक विकास रेलवे संपत्तियों के मोनेटाइजेशन का एक जल्दी और बेहतर तरीका है और निजी क्षेत्र के डेवलपर्स के बीच काफी लोकप्रिय भी है. 

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6 ट्रिलियन की प्रॉपर्टी को मोनेटाइज करने की योजना
नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetization Pipeline) ने वित्त वर्ष 2025 में समाप्त होने वाली पांच साल की अवधि में 6 ट्रिलियन रुपये की सरकारी संपत्ति का मोनेटाइजेशन प्रस्तावित किया है, जिसकी घोषणा सरकार ने वित्त वर्ष 2021 में की थी. 10.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के मोनेटाइजेशन लक्ष्य के बावजूद, भारतीय रेलवे ने पिछले दो वर्षों में बहुत कम प्रगति की है. स्टेशनों का पुनर्विकास, मालवाहक मार्गों पर पटरियों का मोनेटाइजेशन और निजी ट्रेनों का संचालन अभी तक शुरू नहीं हुआ है. रेलमार्ग इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट बनाने की योजना भी विफल रही.
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