Inflation, War, Financial Crisis का भारत की इकोनॉमी पर नहीं पड़ेगा असर, जानें क्यों?  

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 07, 2022, 01:46 PM IST

Moodys के अनुसार स्टेबल आउलुक के मतलब है कि कि अर्थव्यवस्था और फाइेंशियल सिस्टम वित्तीय प्रणाली के बीच आ रहे है नेगेटिव फीडबैक से रिस्क कम हो रहे हैं.

डीएनए हिंदी: दुनिया में मौजूदा समय में काफी फाइनेंशियल क्राइसिस (Financial Crisis) देखने को मिल रहा है. अमेरिका से लेकर यूरोप यहां तक कि चीन में भी हालात काफी खराब देखने को मिल रहे हैं. महंगाई (Inflation) अपने चरम पर है और रूस-यूक्रेन वॉर भी चल रहा है. इन सब के बावजूद भी भारत की इकोनॉमी पर कोई असर देखने को नहीं मिलेगा. मूडीज की फ्रेश रेटिंग (Moodys Ratings) के अनुसार महंगाई और सख्त वैश्विक वित्तीय स्थितियों के प्रभाव सहित वैश्विक चुनौतियों से भारत की आर्थिक सुधार के पटरी से उतरने की संभावना नहीं है. मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने स्टेबल आउटलुक साथ भारत पर अपनी सॉवरेन रेटिंग बीएए3 पर बरकरार रखी है. मूडीज के अनुसार स्टेबल आउलुक के मतलब है कि कि अर्थव्यवस्था और फाइेंशियल सिस्टम वित्तीय प्रणाली के बीच आ रहे है नेगेटिव फीडबैक से रिस्क कम हो रहे हैं. 

कम हो रहा है रिस्क 
मूडीज के अनुसार हायर कैपिटल बफर्स और अधिक तरलता के साथ, बैंक और गैर-बैंक वित्तीय संस्थान (एनबीएफआई) पहले की तुलना में सॉवरेन के लिए बहुत कम जोखिम रखते हैं, जिससे महामारी से चल रही रिकवरी की सुविधा मिलती है. जबकि एक उच्च ऋण बोझ और कमजोर ऋण वहन क्षमता से उत्पन्न जोखिम बने हुए हैं, हम उम्मीद करते हैं कि आर्थिक वातावरण अगले कुछ वर्षो में सामान्य सरकारी राजकोषीय घाटे में धीरे-धीरे संकुचन की अनुमति देगा, जिससे सॉवरेन क्रेडिट प्रोफाइल में और गिरावट से बचा जा सकेगा. मूडीज के मुताबिक रेटिंग एजेंसी रेटिंग को अपग्रेड कर सकती है यदि भारत की आर्थिक विकास क्षमता उनकी अपेक्षाओं से अधिक बढ़ जाती है, जो आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र के सुधारों के प्रभावी कार्यान्वयन द्वारा समर्थित है, जिससे निजी क्षेत्र के निवेश में महत्वपूर्ण और निरंतर वृद्धि हुई है.

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कितनी रह सकती है देश की जीडीपी और चालू घाटा 
मूडीज ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 7.6 फीसदी तक बढऩे की उम्मीद थी, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 8.7 फीसदी देखने को मिली थी. वहीं अगले वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी का अनुमान 6.3 फीसदी का लगाया गया है. एजेंसी ने देश के चालू खाते के घाटे (सीएडी) को चालू वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद के 3.9 फीसदी तक बढऩे का अनुमान लगाया, जो पिछले वर्ष 3 फीसदी देखने को मिला था.  भारतीय रिजर्व बैंक ने बार-बार कहा है कि चालू वित्त वर्ष में देश का सीएडी प्रबंधनीय होगा. 2020-21 में 0.9 फीसदी के सरप्लस की तुलना में 2021-22 में पूरे वर्ष सीएडी 1.2 फीसदी था.

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