ITR Filing: Life Insurance Policy पर किस तरह से मिलता है Tax Benefit, जानें यहां

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 27, 2022, 11:42 AM IST

ITR Filing:  लाइफ इंश्योंरस पॉलिसी की अवधि पूरी होने के बाद जो आपको मैच्योरिटी का पैसा मिलता है, वो पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है. अगर किसी पॉलिसी होल्डर की बीच में ही मौत हो जाती है तो उसके नॉमिनी को मिलने वाली रकम पर भी टैक्स नहीं लगाया जाता है.

डीएनए हिंदी: इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग (Income Tax Return Filing)  असेसमेंट ईयर 2022.23 के लिए आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख काफी नजदीक आ चुकी है. सरकार 31 जुलाई से आईटीआर दाखिल करने की डेडलाइन (ITR Filing Deadline) बढ़ाने से साफ इंकार कर दिया है.  इसलिए फाइन से बचने के लिए समय से पहले अपना आईटीआर दाखिल करना काफी जरुरी है. करदाताओं के बीच बचत और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए आईटी विभाग टैक्सेबल इनकम (Taxable Income)  से विभिन्न कटौती प्रदान करता है. करदाता को आईटीआर में अन्य सोर्स से अपनी आय के बारे में जानकारी देना जरुरी है.  इनमें लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीस (Life Insurance Policies)  के तहत इन्वेस्टमेंट भी शामिल है. यदि आप आईटीआर दाखिल कर रहे हैं, तो अपनी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीस के तहत इस तरह के टैक्स बेनिफिट प्राप्त कर सकते है.  

सेक्शन 80 के तहत टैक्स छूट
इनकम टैक्स की धारा के सेक्शन 80 के तहत सरकार कुछ खास तरह के निवेशों और खर्चों पर टैक्स छूट देती है. इस सेक्शन के तहत निवेशक को हर साल 1.50 लाख रुपए तक की राहत मिलती है. इनमें लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम भी शामिल है.  साथ ही कई तरह के निवेश और खर्चे ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, सुकन्या समृद्धि योजना, सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम, टैक्स सेवर एफडी, आदि शामिल हैं. खास बात ये है कि आपकी जीवन बीमा या किसी एक स्कीम में निवेश कर 1.50 लाख रुपए की टैक्स में राहत नहीं मिलती, बल्कि सभी निवेशों को मिलाकर 1.50 लाख रुपए की टैक्स पर राहत मिलती है.  

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सेक्शन 10 या 10डी मिलने वाली राहत 
लाइफ इंश्योंरस पॉलिसी की अवधि पूरी होने के बाद जो आपको मैच्योरिटी का पैसा मिलता है, वो पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है. अगर किसी पॉलिसी होल्डर की बीच में ही मौत हो जाती है तो उसके नॉमिनी को मिलने वाली रकम पर भी टैक्स नहीं लगाया जाता है. इसमें कुछ शर्तें भी शामिल हैं. लाइफ इंश्योरेंस का प्रीमियम, इंश्योरेंस खरीदने लिए चुकाई गई रकम उसके सम एश्योर्ड से 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. 

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इंश्योरेंस प्रीमियम 10 फीसदी से ज्यादा होने पर क्या होगा 
अगर लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रीमियम सम एश्योर्ड से 10 फीसदी ज्यादा होता है तो आपको पूरे प्रीमियम पर टैक्स छूट नहीं दी जाएगी. सिर्फ 10 फीसदी तक की लिमिट पर ही छूट दी जाएगी. इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं. अगर आपकी लाइफ इंश्योरेंस का सम एश्यार्ड 10 लाख रुपए है जिसका प्रीमियम 1.25 लाख रुपए  है तो तो आपको सिर्फ 10 लाख के 10 फीसदी यानी एक लाख रुपये पर टैक्स छूट पाने का मौका होगा. बाकी बचे 25 हजार रूपये टैक्स के दायरे में आएंगे. 

इन पर नहीं मिलता है टैक्स बेनिफिट 
अगर टर्म प्लान को छोड़ दिया जाए तो आपको कोई ना कोई इंश्योरेंस पॉलिसी किसी ना किसी रूप में आपको पैसा देती रहती है. लाइफ इंश्योरेंस में तो आपको यह बोनस के तौर मिलता है. देश की इंश्योरेंस कंपनियां अपनी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर हर साल बोनस देने की घोषणा करती है. वैसे यह बोनस पॉलिसी के पूरा होने के बाद मिलता है, जिस पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगाया जाता है. वैसे मनी बैक पॉलिसी का टेन्योर समाप्त होने के पहले कुछ रकम निवेशक को मिलती है. यह भी पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है.  

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क्या जीवन बीमा पर टीडीएस कटता है
इंश्योरेंस पॉलिसी से मिलने वाली रकम पर टैक्स नहीं लगता है, ऐसे में इस टीडीएस कटने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता है. लेकिन अगर प्रीमियम ज्यादा हुआ और पॉलिसी टैक्स छूट के दायरे से बाहर हो जाती है तो टैक्स लगेगा. साथ ही टीडीएस काटकर रूपया दिया जाएगा. इसके कुछ अहम प्वाइंट इस प्रकार हैं. 

  • अगर मिलने वाली रकम एक लाख रुपए से कम है तो कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा. 
  • बैनिफिशरी की ओर से पैन नंबर दिया है तो मिलने वाली रकम से 1 फीसदी टीडीएस काटा जाएगा. 
  • अगर लाभार्थी ने पैन नहीं दिया है तो 20 फीसदी टीडीएस कटेगा.


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