Economy Crisis: देश का फॉरेक्स रिजर्व दो साल में सबसे नीचे, डॉलर बनाम रुपये का हुआ असर

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 21, 2022, 11:39 PM IST

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले सप्ताह के दौरान सीधे 4.5 बिलियन डॉलर घट गया. यूक्रेन पर रूस के हमले से अब तक यह 100 अरब डॉलर गिरा है.

डीएनए हिंदी: डॉलर बनाम रुपये की उठापटक का असर लगातार भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserve) पर हो रहा है. पिछले सप्ताह करीब 4.5 बिलियन डॉलर की गिरावट के बाद देश का फॉरेक्स रिजर्व दो साल में सबसे निचले स्तर पर आ गया है. 14 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में देश का FX रिजर्व 528.367 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया, जबकि इससे पहले सप्ताह यह 532.868 बिलियन डॉलर था. इस बड़ी गिरावट के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के रुपये में डॉलर के मुकबले तेजी से आ रही गिरावट रोकने की कोशिश भी कारण मानी जा रही है. 

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इससे पहले सप्ताह हुई थी बढ़ोतरी

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के फॉरेक्स रिजर्व में जहां 7 अक्टूबर से 14 अक्टूबर के बीच 4.5 बिलियन डॉलर की भारी गिरावट हुई, वहीं इससे पहले इसमें बढ़ोतरी ने उम्मीद की किरण जगाई थी. RBI के वीकली स्टेटिक्ल सप्लीमेंट डाटा (weekly statistical supplement data) के मुताबिक, 30 सितंबर से 7 अक्टूबर के बीच फॉरेक्स रिजर्व में 0.2 बिलियन डॉलर की बढ़त हुई थी.

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रूस-यूक्रेन युद्ध से अब तक 100 बिलियन डॉलर घटा भंडार

भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का दौर इस साल की शुरुआत में रूस के यूक्रेन पर हमले के साथ शुरू हुई थी. इसके बाद से विदेशी मुद्रा भंडार करीब 100 बिलियन डॉलर घट चुका है. साथ ही देश का आयात कवर भी करीब 114 बिलियन डॉलर कम हो चुका है, जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह अपने चरम पर था. फरवरी से अब तक विदेशी मुद्रा भंडार 34 में से 27 सप्ताह में घटा है.

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तेजी से बढ़ रही है महंगाई

यूरोप के किनारे पर शुरू हुई रूस-यूक्रेन के बीच की लड़ाई ने पूरी दुनिया में तेजी से महंगाई बढ़ाई है. इसके चलते यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) को ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ी, जिसने निवेशकों को दुनिया भर में रिस्की एसेट्स में से पैसा निकालकर डॉलर के प्रभुत्व वाली एसेट्स में निवेश करने के लिए आकर्षित कर लिया. उभरती अर्थव्यवस्थाओं से 'सेफ हैवन' की तरफ निवेश के इस बहाव ने रुपये को नुकसान पहुंचाया है, जिसका नतीजा है कि घरेलू करेंसी इस साल करीब 12 फीसदी गिर चुकी है. भारतीय करेंसी की कीमत एक डॉलर के मुकाबले 73 रुपये से गिरना शुरू होकर इस सप्ताह 83 रुपये का रिकॉर्ड स्तर पार कर चुकी है.

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रुपये के सामने खड़ी हैं ये समस्याएं

अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दर बढ़ोतरी की तरफ आक्रामक रुख, घरेलू स्तर पर बढ़ता चालू और व्यापार खाता घाटा, और वैश्विक मंदी से घबराए ग्लोबल इन्वेस्टर्स का रिस्की एसेट्स की बिक्री जारी रखना. रुपये के सामने इस समय ये समस्याएं खड़ी हुई हैं. 

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RBI ने रुपये में तेजी से गिरावट को रोकने के लिए स्पॉट व फ्यूचर, दोनों मार्केट में हस्तक्षेप किया है. शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपये के पूरी तरह फ्लैट हो जाने के बाद भारतीय केंद्रीय बैंक ने हस्तक्षेप किया. इससे ट्रेजरी यील्ड्स में बढ़ोतरी हुई और रुपये में किसी भी तरह की तेज गिरावट के खतरे को सीमित कर लिया गया. RBI के इस हस्तक्षेप के बावजूद रुपये में गिरावट का खतरा अब भी बना हुआ है.

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