डीएनए हिंदी: घरेलू रसोई गैस की कीमतों में कटौती करने के बाद मोदी सरकार ने कमर्शियल LPG सिलेंडर का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है. कमर्शियल सिलेंडर 157 रुपये सस्ता हो गया है. सरकारी तेल कंपनियों ने घरेलू गैस और कमर्शियल यूज वाले सिलेंडर की कीमतों को आय यानी 1 सितंबर से अपडेट कर दिया है. इस कटौती के बाद दिल्ली में अब कर्मशियल सिलेंडर 1522.50 बेचा जाएगा, जो इससे पहले 1680 रुपये में मिल रहा था.
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सरकार ने इससे पहले 30 अगस्त को घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम में 200 रुपये कटौती की थी. इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में 14.2 किलोग्राम वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1,103 रुपये से घटकर 903 रुपये हो गई. उज्ज्वला लाभार्थियों के लिए पहले से जारी प्रति सिलेंडर 200 रुपये की सब्सिडी को जोड़ने पर उनके लिए कीमत 703 रुपये होगी. दरअसल, पेट्रोलियम कंपनियों की चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों में बंपर कमाई और कच्चे तेल के दाम गिरने के बाद एलपीजी कीमतों में कटौती की जा रही है.
किस शहर में अब कितने रुपये में मिलेगा कमर्शियल सिलेंडर
- दिल्ली में अब 1522.50 रुपये में मिलेगा. पहले 1680 रुपये का था.
- कोलकाता में अब 1636 रुपये में मिलेगा. पहले 1802.50 रुपये का था.
- मुंबई में अब 1482 रुपये में मिलेगा. पहले 1640.50 रुपये का था.
- चेन्नई में अब 1695 रुपये में मिलेगा. पहले 1852.50 रुपये का था.
ये हैं घरेलू गैस सिलेंडर के नए रेट
शहर |
नई कीमतें |
पुरानी कीमतें |
नई दिल्ली |
903 रुपये |
1,103 रुपये |
भोपाल |
908 रुपये |
1,108 रुपये |
जयपुर |
906 रुपये |
1,106 रुपये |
कोलकाता |
929 रुपये |
1,129 रुपये |
मुंबई |
902.50 रुपये |
1,102.50 रुपये |
चेन्नई |
918.50 रुपये |
1,118.50 रुपये |
केंद्र सरकार पर पड़ेगा 7,680 करोड़ का बोझ
सरकार ने कहा कि सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने अप्रैल-जून तिमाही में बंपर कमाई की और उसके बाद भी यह सिलसिला जारी है. इसके अलावा घरेलू एलपीजी दरों को जिस कीमत पर तय किया जाता है, वह मार्च 2023 में 732 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से घटकर इस साल जुलाई में 385 अमेरिकी डॉलर रह गई. उन्होंने कहा कि अगस्त में दरें बढ़कर 464 अमेरिकी डॉलर प्रति टन हो गई हैं, लेकिन फिर भी तेल कंपनियों के पास एलपीजी की कीमतों में कटौती करने की पर्याप्त गुंजाइश है. वित्तीय वर्ष 2023-2024 में सरकार पर 7,680 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा.
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