मिलिए उस शख्स से, जिसने फीस के लिए ट्यूशन पढ़ाए, बना दिया 35,000 करोड़ रुपये का बैंक

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 03, 2024, 02:47 PM IST

Chandra Shekhar Ghosh Success Story: आज हम आपको बंधन बैंक के संस्थापक की सक्सेस स्टोरी के बारे में बताएंगे, जिन्होंने फीस के लिए ट्यूशन पढ़ाकर अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री ली और आज सबसे सफल बैंकर हैं.

Chandra Shekhar Ghosh Success Story: बंधन बैंक का नाम आपने सुना होगा, जो भारत के बड़े बैंकों में से एक है. क्या आप जानते हैं कि बंधन बैंक के संस्थापक कौन हैं? बंधन बैंक की स्थापना चंद्रशेखर घोष ने साल 2001 में एक NGO के तौर पर की थी. आज इस बैंक की ब्रांच देश के हर एक जिले, शहर और राज्य में मौजूद है. आज हम आपको चंद्रशेखर घोष की सक्सेस स्टोरी के बारे में ही बताने जा रहे हैं कि किस तरह हलवाई के बेटे ने ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद आज इतना बड़ा बैंक बना दिया, जिसकी मौजूदा मार्केट कैपिटल लगभग 35 हजार करोड़ रुपये है.

घर का खर्च चलाना भी मुश्किल था 

चंद्रशेखर घोष का जन्म अगरतला (त्रिपुरा) के एक गरीब परिवार में हुआ था. उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता. घोष के पिता हलवाई थे, जिनकी छोटी सी मिठाई की दुकान थी. दुकान से घर का खर्च चलाना बहुत ही मुश्किल था. घर की स्थिति सही नहीं होने के बाद भी चंद्रशेखर ने अपनी पढ़ाई में बाधा नहीं आने दी.


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ढाका में बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया

चंद्रशेखर घोष अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1978 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका चले गए. बांग्लादेश से घोष ने सांख्यिकी (Statistics) में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. बांग्लादेश में अपना खर्च चलाने के लिए उन्होंने बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया. ढाका में चंद्रशेखर को 1985 में एक अंतर्राष्ट्रीय विकास गैर-लाभकारी संगठन (BRAC) में पहली नौकरी मिली, जहां उन्होंने महिलाओं पर वित्तीय सहायता मिलने के परिवर्तनकारी प्रभाव को देखा. इससे घोष बहुत ही प्रभावित हुए और  इस मॉडल को भारत में भी लाने और लागू करने के बारे में सोचा.

दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए

साल 1997 में ढाका से घोष कोलकता वापस आए. कोलकता में उन्होंने वेलफेयर सोसाइटी के लिए कार्य करना शुरू किया, जिसके कुछ समय बाद ही अपनी खुद की कंपनी शुरू कर दी. दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर उन्होंने 2001 में 'बंधन' की स्थापना की. 2001 में ये महिलाओं को लोन देने वाली माइक्रोफाइनेंस कंपनी थी, लेकिन साल 2009 में गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा पंजीकृत कराया गया और अगस्त 2015 में इसने बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त किया और 'बंधन बैंक' के नाम से पहचाना जाने लगा. आज बंधन बैंक निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंकों में से एक है.

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