रिक्शा चलाने वाला युवक दे रहा IIT-IIM के बच्चों को नौकरी, ऐसे खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

नेहा दुबे | Updated:Apr 06, 2023, 10:16 PM IST

Dilkhush Singh RodBez

Startup Story: रिक्शा चलाया, सब्जी बेची और अब ये युवक IIT-IIM के स्टूडेंट्स को देता है लाखों का पैकेज. पढ़िए बिहार के सहरसा के इस युवक की कहानी....

डीएनए हिंदी: एक रिक्शा चालक और सब्जी बेचने वाला, जिसके लिए अपने पेट को पालना ही दिनभर की सबसे बड़ी स्ट्रगल हो. आज ऐसा ही एक रिक्शा चालक दिलखुश सिंह (Dilkhush Singh) जिसने सिर्फ 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वह आईआईटियंस (IIT) और आईआईएम (IIM) -शिक्षित कॉरपोरेट लीडर्स को कड़ी टक्कर देता है. दरअसल दिलखुश आज एक बहुत ही सफल कैब व्यवसाय चलाता है. आज वह न सिर्फ खुद पैसे कमाता है बल्कि आईआईटी और आईआईएम के लोगों को भी सैलरी देता है.

एक रिक्शा दे रहा IIT-IIM के लोगों को नौकरी

दिलखुश बिहार के सहरसा के एक गांव का रहने वाला है. उनकी कंपनी का नाम रॉडबीज (RodBez) है. वह कंपनी के संस्थापक और सीईओ हैं. उनकी कंपनी बिहार में कैब मुहैया कराती है. हालांकि, यह उबर (UBER) और ओला (OLA)  से अलग है. जबकि ओला और उबर शहर के भीतर यात्रा पर ध्यान केंद्रित करते हैं, उनकी कंपनी उन लोगों को सेवाएं प्रदान करती है जो 50 किमी से अधिक की दूरी पर जाना चाहते हैं.

दिलखुश की कंपनी कैब एग्रीगेटर है. उनके पास ट्रैवल कंपनियों के साथ-साथ व्यक्तिगत कैब ड्राइवरों के साथ गठजोड़ है. वे कैब ड्राइवरों से यात्रा से वापस आने वाले यात्रियों को लेने के लिए कहते हैं. क्योंकि वे अपनी वापसी यात्राओं में यात्रियों के बिना आते हैं. साथ ही RodBez बाजार मूल्य से कम शुल्क भी लेता है. वापसी में ग्राहक 40 प्रतिशत से भी कम किराये का पेमेंट करते हैं. उन्होंने जीएनटी को बताया कि हर ग्राहक प्रति ट्रिप कम से कम 1500 रुपये बचाता है.

100 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन की बनेगी कंपनी!

दिलखुश ने आर्य गो कैब (Arya Go Cabs) के नाम से अपना कारोबार शुरू किया था.  इस दौरान उन्होंने टाटा नैनो कार से कंपनी की शुरुआत की थी. पिछले 6 महीनों में उन्होंने करोड़ों के वैल्यूएशन पर पैसे जुटाए हैं. उन्होंने कहा कि वैल्यूएशन 20 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा.उनका अगला लक्ष्य 100 करोड़ रुपये का वैल्यूएशन है. अभी यह कंपनी सिर्फ पटना से आने-जाने की सेवाएं दे रही है.

उन्होंने चैनल से कहा कि वह सुनिश्चित करते हैं कि ड्राइवरों को उचित मुआवजा दिया जाए. उन्होंने कहा कि एक ड्राइवर अपने प्लेटफॉर्म के जरिए प्रति माह 55000-60000 रुपये कमा सकता है.

उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी में आईआईटी और आईआईएम के लोग काम करते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि उनके पास आईआईटी गुवाहाटी के कर्मचारी हैं. उन्होंने कहा कि आईआईएम के कई लोग उनके कार्यालय में अंशकालिक काम कर रहे हैं. उन्हें हाल ही में 40 लाख रुपए की फंडिंग मिली है. वे इस पैसे का इस्तेमाल अपनी सप्लाई-चेन को मजबूत बनाने और अधिक कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए करेंगे.

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