Bata देसी है या विदेशी? पढ़ें जूते बनाने वाली इस कंपनी की सफलता की कहानी

नेहा दुबे | Updated:Jul 19, 2023, 12:33 PM IST

Tomas Bata Founder of BATA

Success Story of Tomas Bata: हर कंपनी की कहानी होती है कुछ ऐसी ही कहानी है बाटा कंपनी की. जिसे एक किराये के घर में शुरू किया गया था और आज 90 देशों में यह कंपनी अपना पैर पसार चुकी है.

डीएनए हिंदी: आपने फेमस शू कंपनी BATA का नाम तो सुना ही होगा. ये कंपनी भारत के मिडिल क्लास लोगों की पहली पसंद के रूप में उभरी है. कई लोग तो बाटा शू कंपनी को भारतीय कंपनी ही समझते हैं. लेकिन ये कंपनी एक MNC कंपनी है. इंडिया में ये कंपनी आज से लगभग 93 साल पहले अस्तित्व में आया था. 

उस समय इंडिया में जापानी जूतों की काफी मांग थी और लगभग इसी समय एक गाना ‘मेरा जूता है जापानी भी काफी फेमस हुआ था’. लेकिन जब बाटा ब्रांड (Bata Share Price) ने देश में अपना अस्तित्व बनाया तो ये मिडिल क्लास फैमिली पहला पसंद बन गया. बता दें कि BATA की स्थापना जून 1973 में हुआ था और ये एक चेक रिपब्लिक कंपनी है. 

आइए बताते हैं बाटा की शुरुआती कहानी के बारे में. यूरोपीय देश चेकोस्लोवाकिया का एक छोटा सा बाटा परिवार अपने कई पीढ़ियों से जूता बनाकर अपना गुजारा करता था. बाटा परिवार का एक लड़का टॉमस (Success Story of Tomas Bata) ने अपने पारिवारिक उद्योग को प्रोफेशनल बनाने के लिए साल 1894 में अपनी बहन एन्ना और भाई एंटोनिन के साथ बड़ी मुश्किलों में 320 डॉलर लेकर इस बिसनेस की शुरुआत की. इन तीनों ने ये बिजनेस दो किराए के कमरे में किस्तों पर दो सिलाई मशीन खरीद कर और कर्जों के साथ कच्चा माल लेकर इस बिजनेस की शुरुआत किया था.

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आगे चलकर टॉमस के भाई-बहन ने कारोबार छोड़ दिया. लेकिन इससे भी टॉमस का इराजा नहीं बदला. इन्होनें 6 सालों के अंदर ही अपने बिजनेस को इतना आगे बढ़ा दिया की अब उनके पास जगह की कमी होने लगी. अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए टॉमस ने कई सारे कर्ज लिए थे और एक बार कर्ज टाइम पर नहीं चुका पाने पर वो दिवालिया हो गए. इसके बाद टॉमस और उनके तीन वर्कर्स को 6 महीने तक न्यू इंग्लैंड के एक जूता कंपनी में मजदूरी करनी पड़ी. इस समय टॉमस ने कंपनी (Tomas Bata Success Story) के कामकाज को काफी करीब से सीखा और अपने देश वापस आ गए. उनहोंने 1912 में नए तरीके से काम शुरू कर 600 मजदूरों को नौकरी और कईयों को उनके घर पर ही काम दिया.

टॉमस की बाटा कंपनी 1939 में चमड़े और रबड़ की तलाश में भारत आई थी और कोलकाता में अपने पहले कारोबार की शुरुआत की. भारत में पहली बार बाटानगर में इस कंपनी ने शू मशीन की स्थापना की थी. बता दें कि इस समय भारत बाटा का दूसरे सबसे बड़े मार्केट के रूप मे जाना जाता है. बाटा द्वारा अपना पहला फैक्ट्री पश्चिम बंगाल के कोन्नागर में शुरू किया गया था. जिसे कुछ समय बाद बाटागंज में शिफ्ट कर दिया गया था. इसके बाद जिन जगहों पर चमड़ा, रबर, कैनवास और पीवीसी सस्ते में उपलब्ध थे जैसे बिहार, फरीदाबाद (हरियाणा), पिनया (कर्नाटक) और होसुर (तमिलनाडु) सहित पांच स्थानों पर फैक्टरियां स्थापित की गई थी. बाटा भारत का ऐसा शू ब्रांड है, जिसका सबसे बड़ा ग्राहक मिडिल क्लास फैमली है.

टॉमस ने अपनी कंपनी का मुख्यालय यूरोप में सबसे ऊंची कंक्रीट की इमारत में बनाई थी. दुर्भाग्य से 58 वर्षीय टॉमस की मौत भी 12 जुलाई को एक हवाई यात्रा के दौरान उनके ही इमारत की चिमनी से टकराने से हो गई. इसके बाद बाटा एक शू कंपनी ना रहकर केवल एक ग्रुप बन गया. अब जल्द ही बाटा दुनिया की सबसे बड़ी शू एक्सपोर्टर के रूप में खुद के स्थापित कर लिया. भारत में बाटा की लगभग 1375 रिटेल स्टोर में 8500 वर्कर्स (Bata Revenue) कार्यरत है. साल 2023 में अब तक कंपनी ने करीब 5 करोड़ जूतों की बिक्री (Tomas Bata Net Worth) किया है. बता दें कि इस कंपनी का राज कुल 90 देशों में है और इनमें लगभग 30 हजार कर्मचारी के साथ-साथ 5 हजार स्टोर भी है. इस कंपनी के स्टोर में हर रोज करीब 10 लाख ग्राहक (Bata Share Price) आते हैं.

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