BharatGPT: मुकेश अंबानी की कंपनी मार्च में लांच करेगी भारतजीपीटी, जानिए इस AI मॉडल की डिटेल

Written By कविता मिश्रा | Updated: Feb 21, 2024, 02:46 PM IST

BharatGPT

Reliance Hanooman: इस एआई मॉडल का नाम हनुमान (Hanooman) है. आइए जानते हैं कि रिलायंस जियो का ये AI मॉडल कितनी भाषाओं में काम करेगा.

रिलायंस जियो टेक्नोलॉजी के सेक्टर में लगातार बढ़ता जा रहा है. रिलायंस जियो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में बढ़ने के लिए मार्च में भारतजीपीटी (BharatGPT) लांच करेगा. भारतजीपीटी एक मेगा कंसोर्टियम है, जिसमें रिलायंस और आठ प्रमुख विश्वविद्यालय शामिल हैं. एक इवेंट के दौरान भारतजीपीटी के इस एआई मॉडल (AI Model) का टीज़र कुछ चुनिंदा दर्शकों को दिखाया गया था. जिसमें यह भी दिखाया गया कि भारतजीपीटी कैसे काम करेगा. टीजर के दौरान एक बैंकर ने इस इंडियन एआई मॉडल से हिंदी में बात की, वहीं एक बाइक मैकेनिक को इससे तमिल में बात करते हुए देखा गया. 

BharatGPT चैटजीपीटी स्टाइल वाला ही एक AIR Model है, जो अपनी सर्विस अगले महीने मार्च से शुरू करने वाली है. इस मॉडल की खासियत की बात करें तो टीजर के दौरान यह भी देखा गया कि एआई मॉडल 11 भाषाओं में बात कर सकता है. इसके अलावा एक डेवलपर को एआई मदद से कंप्यूटर कोड लिखते हुए भी देखा गया. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, इस एआई मॉडल का नाम हनुमान (Hanooman) है. हनुमान नाम का यह एआई मॉडल मुख्य तौर पर शासन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और वित्तीय सेवा जैसे सेक्टर में काम करेगा. 

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रिलायंस कर रहा ऐसा काम 

रिलायंस पहले से ही लगभग 450 मिलियन ग्राहकों के नेटवर्क पर AI का उपयोग करने के लिए Jio Brain- एक प्लेटफॉर्म पर काम कर रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और 8 विश्वविद्यालयों की मदद से इसे बनाया जा रहा है. गौरतलब है कि रिलायंस जियो इनफोकॉम के चेयरमैन आकाश अंबानी ने पिछले साल एक कार्यक्रम के दौरान बताया था कि उनकी कंपनी आईआईटी बांबे के साथ मिलकर ‘Bharat GPT’ प्रोग्राम पर काम कर रही है. उन्होंने ये भी कहा था कि कंपनी “जियो 2.0” के विजन पर पहले से ही काम कर रही है. कंपनी का मकसद सभी की बेहतरी के लिए इकोसिस्टम तैयार करना है.

OpenAI के सीआईओ ने दी थी ऐसी चुनौती 

 ChatGPT बनाने वाले OpenAI के सीआईओ सैम ऑल्ट मैन भारत दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने भारतीय कंपनियों को चुनौती दी कि वे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के मामले में अमेरिका की कंपनियों का मुकाबला नहीं कर सकती हैं. ऑल्टमैन ने कहा था कि जिस तरह से एआई काम करता है, उससे आपके लिए हमारे साथ कंपीट करना होपलेस है. ट्रेनिंग फाउंडेशन मॉडल्स आप ट्राई भी नहीं कर पाएंगे और वैसे भी कोशिश करना आपका काम है. 

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