भारत में डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ने एक नया मोड़ लिया है. हालिया आंकड़ों के अनुसार, UPI ट्रांजैक्शन की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. जो डिजिटल इंडिया की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है. लेकिन UPI ट्रांजैक्शन से ही जुड़ी एक मामला सामने आया है जिसमें एक रिसर्च करने वाली कंपनी की सर्वे में पता चला है कि अगर यदि इसमें कुछ ट्रांजैक्शन फीस लगती है तो अधिकांश उपयोगकर्ता यूपीआई से पेमेंट करना बंद कर देंगे.
सर्वे में हुआ खुलासा
लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए एक सर्वे में यह सामने आया है कि 75 प्रतिशत UPI उपयोगकर्ता ट्रांजैक्शन फीस लागू होने पर इस फ्लैटफार्म का उपयोग बंद कर देंगे. इस सर्वे में 15,598 UPI उपयोगकर्ताओं ने भाग लिया था. जिसमें 63 प्रतिशत पुरुष और 37 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं. सर्वे में भाग लेने वाले 41 प्रतिशत टियर 1 शहरों से, 30 प्रतिशत टियर 2 से, और 29 प्रतिशत छोटे नगरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों से थे.
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मर्चेंट डिस्काउंट रेट लगाने की मांग
दरअसल, फिनटेक सेक्टर और कई बैंकों के तरफ से तरफ से लगातार सरकार पर ये दवाब बनाया जा रहा है कि UPI लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लागू हो. उनका खाना है कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड के ट्रांजैक्शन पर जो चार्ज लिया जाता है, उसी तरह UPI लेन-देन पर भी होना चाहिए.
UPI में लगातार वृद्धि
NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में UPI ट्रांजैक्शन की संख्या में 57 प्रतिशत की वृद्धि देखा गया है. 2023 में UPI लेनदेन पहली बार 10,000 करोड़ को पार कर गया, जबकि पिछले वर्ष यह 8,400 करोड़ था. वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 199.89 ट्रिलियन रुपये तक जा पहुंचा है. जो पिछले वर्ष के 139.1 ट्रिलियन रुपये से काफी ज्यादा है. बढ़ती हुई UPI ट्रांजैक्शन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय उपभोक्ता डिजिटल भुगतान की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. हालांकि, UPI उपयोगकर्ताओं की चिंता इस बात को लेकर है कि यदि ट्रांजैक्शन फीस लागू की जाती है, तो इससे डिजिटल भुगतान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
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