यह है दुनिया की सबसे पुरानी कंपनी, जानें किस चीज का करती है कारोबार 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 23, 2022, 11:27 AM IST

Oldest company in the World: मंदिरों के निर्माण के लिए जानी जाने वाली इस कंपनी की शुरुआत शिगेमित्सु कोंगो नाम के एक कोरियाई बिल्डर ने की थी. कोंगो को राजकुमार शोतोकू ने जापान में बौद्ध मंदिर बनाने के लिए बुलाया था.

डीएनए हिंदी: हम भारत में बिड़ला ग्रुप को जानते हैं, टाटा ग्रुप को भी देश की सबसे पुरानी कंपनियों में एक मानते हैं, इस लिस्ट में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे पुरानी कंपनी (Oldest company in the World)  कौन सी है. अगर आप यह सोच रहे हैं कि यह कोई ब्रिटिश या यूरोपीयन कंपनी है तो आप गलत हैं. यह एक एशियाई देश की ही कंपनी है. जी हां, यह कंपनी उस देश में स्थापित है, जिसने दो परमाणू बम झेले. उसके बाद भी यह कंपनी आज तक जिंदा ही ही नहीं बल्कि चट्टान की तरह खड़ी हुई है. इस कंपनी का नाम है कोंगो गुमी, जोकि जापान के ओसाका में स्थापित है. इस कंपनी की उम्र 1444 साल हो चुकी है. करीब 40 पुश्तों से इस कंपनी को मजबूती से बरकरार रखा हुआ है. 

मंदिरों के निर्माण के लिए जाती है यह कंपनी 
मंदिरों के निर्माण के लिए जानी जाने वाली इस कंपनी की शुरुआत शिगेमित्सु कोंगो नाम के एक कोरियाई बिल्डर ने वर्ष 578 में की थी. कोंगो को राजकुमार शोतोकू ने जापान में बौद्ध मंदिर बनाने के लिए बुलाया था. शितेनो-जी मंदिर, जो अभी भी ओसाका, जापान में खड़ा है, कोंगो परिवार के व्यवसाय की शुरुआत थी. तब से, 40 से अधिक पीढिय़ां निर्माण कंपनी चला रही हैं. कोंगो परिवार के सदस्यों के नाम 17वीं शताब्दी के एक स्क्रॉल में उल्लेखनीय रूप से सूचीबद्ध हैं.

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कई आपदाओं को झेला 
इंट्रस्टिंग इंजीनियरिंग के अनुसार, कारोबार चल गया, क्योंकि धर्म शैली से बाहर नहीं जाता है. कंपनी की करीब 80 फीसदी आमदनी बौद्ध मंदिरों से होती है. कंपनी दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे लचीली हो सकती है, कई प्राकृतिक आपदाओं, राजनीतिक संकटों और दो परमाणु बमों से बची हुई है, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान को हिलाकर रख दिया था. 

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1980 के दशक में कोंगो परिवार से फिसली कंपनी 
अब कंपनी कांगो परिवार के हाथ में नहीं है. 1980 के दशक में पतन के कारण, कंपनी ताकामात्सु कंस्ट्रक्शन ग्रुप की सहायक कंपनी बन गई. 1980 के दशक में, बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दरों को बेहद कम रखा था - जिसने एक तरह की संपत्ति का बुलबुला बनाया. इसके साथ, कंपनियों ने जितना कर्ज चुकाया था, उससे कहीं अधिक कर्ज ले लिया. जब बुलबुला फूटा, तो सभी कंपनियों के पास कर्ज था. और इसी तरह कोंगो गुनी की सदियों पुरानी विरासत को प्रभावी ढंग से दफना दिया गया.

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