रतन टाटा का निधन हो चुका है. उनके निधन के बाद उनकी वसीयत को लेकर बातें हो रही है. अपनी वसीयत में उन्होंने अपनी सारी संपत्ति का बंटवारा कर दिया है. इनमें उनका ड्राइवर, बटलर और कुत्ता भी शामिल है. अपनी वसीयत में उन्होंने कई लोगों का नाम डाला है. इस वसीयत में उन्होंने अपने सौतेले भाई नोएल टाटा का उल्लेख नहीं किया है. रतन टाटा और उनके भाई नोएल टाटा के संबंधों को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. कई लोग दोनों भाइयों के बीच के संबंध को लेकर कई तरह का अनुमाण निकाल रहे हैं. आइए जानते हैं कि ऐसी क्या वजह थी कि रतन टाटा की वसीयत में नोएल टाटा का नाम नहीं था.
दोनों के रिश्ते थे जटिल
परप्लेक्सिटी एआई को कोट करते हुए इंडिया डॉट कॉम ने कहा है कि दोनों भाइयों के बीच के संबंध काफी अलग तरह के थे. नोएल टाटा उनके अपने सगे भाई नहीं बल्कि सौतेले भाई थे. दोनों भाइयों के बीच बेहद करीबी रिश्ते नहीं थे. जानकारों का कहना है कि रतन टाटा को नोएल तजुर्बे को लेकर शंका रहती थी. उन्होंने टाटा ग्रुप के भीतर कभी भी बड़ा दायित्व नहीं सौंपा. सच्चाई ये भी है कि नोएल टाटा को रतन टाटा की मृत्यु के बाद उनका उत्तराधिकारी बनाया गया, लेकिन जब वो जीवित थे तब उन्होंने ये फैसला खुद से नहीं किया.
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बाद में नोएल बन गए थे सहयोगी
ये अलग बात है कि समय के साथ दोनों ही भाइयों ने एक-दूसरे के साथ काम किया. बाद में नोएल टाटा रतन टाटा के बेहद नजदीकी हो गए थे, दोनों ने साथ में कई सारे प्रोजोक्ट्स पर काम किया. रतन टाटा की ओर से साइरस मिस्त्री को हटाने के निर्णय को लेकर भी नोएल टाटा की तरफ से समर्थन मिला था. बाद के सालों में नोएल टाटा की ओर से टाटा ग्रुप को लीड करने को लेकर रतन टाटा के निधन से पहले से ही तैयारी की जाने लगी थी. उनके लंबे तजुर्बे की वजह से ही उन्हें ग्रुप की तरफ से उन्हें उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया.
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