त्योहारी सीजन में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन लेने कस्टमर्स के लिए बड़ी सौगात दी है. RBI ने फ्लोटिंग रेट वाले टर्म लोन (Floating Rate Term Loan) के बंद करने पर फोरक्लोजर चार्ज (foreclosure Charges) या प्री-पेमेंट पेनल्टी (Pre-Payment Penalties) को खत्म कर दिया है. अब बैंक या NBFC लोन लेने वाले ग्राहकों से लोन बंद करने पर क्लोजर चार्ज या पेनल्टी नहीं लगा सकेंगे.
आरबीआई ने यह फैसला मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग (MPC) में लिया. गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि कस्टमर्स के हितों के देखते हुए यह कदम उठाए गए हैं. माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज (Micro and Small Enterprises) को दिए जाने वाले लोन पर भी यह नियम लागू होगा. उन्होंने कहा कि फ्लोटिंग रेट वाले टर्म लोन को बंद करने पर बैंक या NBFC को फोरक्लोजर चार्जेज या प्री-पेमेंट पेनल्टी वसूलने की अनुमति नहीं होगी.
वहीं, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत ने बैंक और एनबीएफसी कंपनियों को असुरक्षित लोन को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि कुछ ऋणदाता तेज विकास के लिए मजबूत अंडरराइटिंग का पालन नहीं कर रहे हैं. बैंकिंग व्यवस्था में अंडरराइटिंग का मतलब ग्राहक की लोन चुकाने की क्षमता का आकलन करना होता है. आरबीआई मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) के फैसलों का ऐलान करते हुए गवर्नर ने कहा कि एनबीएफसी कंपनियों द्वारा स्वयं सुधार करना वांछित विकल्प है. आरबीआई द्वारा भी इन एनबीएफसी पर करीब से निगाह रखी जा रही है और हम जरूरत पड़ने पर कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे.
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रेपो दर को 6.5 प्रतिशत
जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों और विशेषज्ञों ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में रुख बदलकर ‘तटस्थ’ करने का स्वागत करते हए कहा कि इससे नीतिगत दर में जल्द कटौती की उम्मीद है. उन्होंने यह भी कहा कि रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखने से ब्याज दर के मोर्चे पर स्थिरता बनी रहेगी जिससे आगामी त्योहारों के दौरान मकानों की मांग बढ़ने की उम्मीद है.
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार 10वीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने साथ ही अपेक्षाकृत आक्रामक रुख को बदलकर तटस्थ कर दिया.
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