आरबीआई (RBI) की तरफ से लगातार आठवीं बार रेपो दर (Repo Rate) को 6.5% पर बरकरार रखा गया है. RBI ने शुक्रवार को यानी आज चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान लगातार आठवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया है. महंगाई को टिकाऊ स्तर यानी 4% पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को कायम रखा गया है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बुधवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए फैसले की शुक्रवार को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इसके साथ एमपीसी सदस्यों ने लक्ष्य के अनुरूप खुदरा महंगाई को लाने के लिए उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय को भी कायम रखने का फैसला किया है.
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RBI की तरफ से हुए बदलाव
RBI ने 2024-25 के लिए जीडीपी (GDP) वृद्धि दर के अनुमान को 7% से बढ़ाकर 7.2% पर कर दिया है. चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 4.5% पर बरकरार रखा गया है. पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.9%, दूसरी तिमाही में 3.8%, तीसरी तिमाही में 4.6% और चौथी तिमाही में 4.5% रहने का अनुमान लगाया है. रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है. रेपो दर को 6.5% पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (EMI) में बदलाव की संभावना कम है. आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति 2% घट-बढ़ के साथ 4% पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.
(With Bhasha Inputs)
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