डीएनए हिंदी: केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई ने आज मौद्रिक नीतियों की बैठक के बाद एक बार फिर रेपो रेट में इजाफा किया है. इसमें 50 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी हुई है. इस फैसले के बाद से ही भारतीय शेयर बाजारों में तेजी आई है. वहीं डॉलर के मुकाबले रुपया भी मजबूत हुआ है. वहीं जीडीपी को लेकर गवर्नर शक्तिकांत दास सकारात्मक रहे हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे पर बहुत सारी अनिश्चितताओं के बावजूद घरेलू आर्थिक सुधार अधिक व्यापक हो रहे हैं.
कैसा रहा शेयर मार्केट का हाल
भारतीय शेयर बाजार की बात करें तो सेंसेक्स 250 अंक से अधिक ऊपर तक पहुंच गया. वहीं निफ्टी भी करीब 17,500 के स्तर पर था. इसको लेकर कोटक चेरी के श्रीकांत सुब्रमण्यम ने कहा, "इक्विटी बाजारों ने पहले ही बढ़ोतरी में छूट दी थी और इसलिए बाजार की समग्र भावना को आरबीआई के फैसले ने ज्यादा प्रभावित नहीं किया है. हालांकि भारतीय बाजार के इतने सस्ते मूल्यांकन के साथ निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए. इक्विटी बाजार पर हर एक मौके पर एक्शन लेना व्यर्थ हो सकता है.
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निफ्टी में भी दिखा उछाल
इसके अलावा सेंसेक्स की तरह ही निफ्टी और निफ्टी बैंक में भी तेजी देखी गई है. बैंक इंडेक्स 1% ऊपर था और 38,000 के स्तर से ऊपर था. एक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी नवीन कुलकर्णी ने कहा, “रेपो दरें पूर्व-महामारी के स्तर पर वापस आ गईं, जो अगस्त 2019 के बाद से सबसे अधिक है. हमने देखा है कि जब से आरबीआई ने अतिरिक्त तरलता को वापस लेना शुरू किया है, तब से हमने सिस्टम की तरलता को कड़ा कर दिया है, और सिस्टम क्रेडिट ग्रोथ में सुधार 14% के स्तर पर पहुंचा है.
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डॉलर के मुकाबले संभला रुपया
इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के मुकाबले भारतीय रुपये की बात करें तो भारतीय रुपया आज 79.47 के पिछले बंद की तुलना में बढ़कर 79.23 प्रति अमेरिकी डॉलर हो गया है. इस फैसले को लेकर IFA ग्लोबल रिसर्च एकेडमी ने कहा "कुल मिलाकर नीति अपेक्षा से थोड़ी अधिक तेज थी. आगे कैलिब्रेटेड मौद्रिक नीति सख्त होने से मुद्रास्फीति के दबावों को नियंत्रित करने की संभावना है. विनियामक मोर्चे पर एक प्रमुख विकास प्राथमिक व्यापारियों को विदेशी मुद्रा बाजारों में बाजार निर्माताओं के रूप में कार्य करने की अनुमति देना था. इस कदम का उद्देश्य विदेशी मुद्रा बाजार में भागीदारी को व्यापक बनाना है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक सतर्क हैं और भारतीय रुपये की स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. चालू वित्त वर्ष के दौरान (4 अगस्त तक), अमेरिकी डॉलर सूचकांक (DXY) प्रमुख मुद्राओं की एक टोकरी के मुकाबले 8.0 प्रतिशत बढ़ा है. इस परिवेश में भारतीय रुपया इसी अवधि के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 4.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ अपेक्षाकृत व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ा है - कई आरक्षित मुद्राओं के साथ-साथ इसके कई ईएमई और एशियाई साथियों की तुलना में बहुत बेहतर है.
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बॉन्ड बाजार का क्या है रुख
उच्च मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा अपनी प्रमुख नीतिगत दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि के बाद भारत सरकार के बांड प्रतिफल में आज वृद्धि हुई है. आरबीआई ने महंगाई और जीडीपी ग्रोथ आउटलुक दोनों को स्थिर रखने के प्रयास किए हैं. 10 साल की बॉन्ड यील्ड 7.2588% थी जो पहले दिन में 7.1073% थी. एमपीसी ने 2022/23 के लिए अपने जीडीपी विकास अनुमान को 7.2% पर बरकरार रखा, जबकि इसका मुद्रास्फीति पूर्वानुमान 6.7% पर अपरिवर्तित रहा है.
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