RBI MPC Meet: रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा, होम लोन और कार लोन की ईएमआई में होगा इजाफा

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 05, 2022, 11:27 AM IST

RBI MPC Meet: आरबीआई ने खुदरा महंगाई पूर्वानुमान (Retail Inflation Forecast) को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. जून में अपनी पिछली नीति समीक्षा में, केंद्रीय बैंक ने अनुमान लगाया था कि सीपीआई महंगाई (CPI Inflation) 2022-23 में औसतन 6.7 प्रतिशत होगी.

डीएनए हिंदी: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने 5 अगस्त को चालू वित्त वर्ष के लिए अपने खुदरा महंगाई पूर्वानुमान (Retail Inflation Forecast) को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. जून में अपनी पिछली नीति समीक्षा में, केंद्रीय बैंक ने अनुमान लगाया था कि सीपीआई महंगाई (CPI Inflation) 2022-23 में औसतन 6.7 प्रतिशत होगी. आज अपने मौद्रिक नीति निर्णय में, केंद्रीय बैंक ने नीति रेपो ब्याज दर(RBI Repo Rate) - जिस दर पर वह बैंकों को अल्पकालिक धन उधार देता है - 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया. आरबीआई गवर्नर (RBO Governor) के अनुसार महंगाई हाल ही में फ्लैट देखने को मिली है. और सप्लाई में भी सुधार देखने को मिल रहा है. वैश्विक आपूर्ति बाधाओं (Global Supply Hurdles) में कुछ ढील से मदद मिली है. एमपीसी ने, हालांकि, नोट किया कि महंगाई 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों के माध्यम से 6 प्रतिशत के ऊपरी टॉलरेंस लेवल से ऊपर रहने का अनुमान है. 

मुद्रास्फीति जून में मामूली रूप से घटकर 7.01 प्रतिशत हो गई, जो मई में 7.04 प्रतिशत थी, सीपीआई मुद्रास्फीति लगातार 33 महीनों के लिए 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य से ऊपर रही है. यह लगातार दो तिमाहियों के लिए आरबीआई की 2-6 प्रतिशत टॉलरेंस लेवल के 6 प्रतिशत ऊपरी सीमा से भी ऊपर रहा है. आरबीआई के नए पूर्वानुमान के अनुसार, यह विफल होने की राह पर है, जुलाई-सितंबर में सीपीआई मुद्रास्फीति औसत 7.1 प्रतिशत देखी गई. उसके बाद अक्टूबर-दिसंबर में मुद्रास्फीति तेजी से 6.4 प्रतिशत और 2023 की पहली तिमाही में 5.8 प्रतिशत तक कम होती दिख रही है. अगले कैलेंडर वर्ष की दूसरी तिमाही में सीपीआई महंगाई और गिरकर 5.0 प्रतिशत पर आ रही है.

RBI MPC Meet: लगातार तीसरी बार बढ़ा ईएमआई का बोझ, रेपो दरों में 0.50 फीसदी का इजाफा 

आरबीआई के महंगाई पूर्वानुमान का अनुमान है कि भारत के कच्चे तेल की टोकरी की कीमत औसतन $ 105 प्रति बैरल होगी. पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में भारत के कच्चे तेल की टोकरी की कीमत औसतन $ 105 प्रति बैरल थी. जबकि आरबीआई का पूर्वानुमान अगले 12 महीनों में महंगाई में लगातार गिरावट की भविष्यवाणी कर रहा है. एमपीसी के अनुसार जीयो पॉलिटिकल झटके से महंगाई में काफी अनिश्चितता आ रही है.

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