डीएनए हिन्दी: अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रुपये (Indian Rupee) की कीमत लगातार घट रही है. 19 अक्टूबर को पहली बार एक डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपया 83 के पार पहुंच गया. यह इंडियन इकोनॉमी (Indian Economy) के लिए खतरे की घंटी है.
बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 82.32 पर खुला, लेकिन कारोबार के दौरान यह लगातार कमजोर होता गया. करीब 75 पैसे की कमजोरी इसमें देखने को मिली. अंत में रुपया डॉलर के मुकाबले 83.02 पर बंद हुआ. ध्यान रहे इस साल के शुरू से ही रुपये में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. 1 साल में रुपया करीब 10 फीसदी तक टूट चुका है.
रुपये में बुधवार को गिरावट का रिकॉर्ड बनने के कई कारण हैं. रिलायंस सिक्योरिटीज के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सेशन में आरबीआई (Reserve Bank of India) रुपये की गिरावट को रोकने की कोशिश कर रहा था, जिसकी वजह से रुपया 82 के स्तर पर टिका हुआ था. उनका कहना है कि बुधवार को रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप नहीं किया जिसकी वजह से तेज गिरावट देखने को मिली और रुपया 83 के पार पहुंच गया.
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एक्सपर्ट यह भी मान रहे हैं कि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में हो रही बढ़ोतरी की वजह से रुपया कमजोर हो रहा है. बताया जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का भी असर रुपया पर पड़ा. साथ ही कहा जा रहा है कि फेड अगली बैठक में ब्याज दरों में 75 बेसिस पॉइंट की फिर बढ़ोतरी कर सकता है, इसकी वजह से भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की डिमांड बढ़ रही है.
अभी और रुलाएगी महंगाई
रुपये में गिरावट का असर सीधा लोगों की जेब में पड़ना तय माना जा रहा है. भारत एक बड़ा इम्पोर्टर है. खास कर पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का. रुपये की कमजोरी की वजह से पेट्रोल, डीजल और गैस के लिए अब भारत को ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा, इसकी वजह से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के दामों में आने वाले समय में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
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इसके अवाला कई जरूरी चीजें भारत आयात करता है. डॉलर की महंगाई की वजह से भारत का इंपोर्ट बिल का बढ़ना तय माना जा रहा है. साथ ही इन आयातित वस्तुओं का महंगा होना भी तय है. इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा. पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं.
गौरतलब है कि खुदरा महंगाई में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तमाम कोशिश को बावजूद महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही है. ऐसे में रुपये की कमजोरी महंगाई रूपी घी में 'आग' का काम करेगी.
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