डीएनए हिंदीः अमेरिका के पूर्व ट्रेजरी सेक्रेटरी जॉन कोनली ने 1971 में कहा था कि 'डॉलर हमारी करेंसी है और आपकी समस्या'. आज 50 साल बाद भी ये बात भारत जैसे विकासशील देशों के लिए सच है. डॉलर के मुकाबले रुपए (Rupee Vs Dollar) की कीमत 82 रुपये को भी पार कर सकती है. महंगाई (Inflation) को कम करने के लिए अमेरिकी फेडरल बैंक(US Fed Reserve) ने जैसे-जैसे ब्याज दरें बढ़ाई हैं, रुपये पर दबाव बढ़ता गया है. रुस यूक्रेन युद्ध के बाद महंगे हुए आयात और विदेशी निवेशकों के दबाव के कारण भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले एक साल में 100 बिलियन डॉलर की कमी हो गई. मगर अभी भी रुपये में डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) के मुकाबले कम गिरावट देखने को मिली है. ऐसे में रुपये को आने वाले समय में और दबाव झेलना पड़ सकता है.
विदेशी मुद्रा भंडार में 100 बिलियन डॉलर की कमी
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 11 सितंबर 2021 को 642 बिलियन डॉलर का था. 16 सितंबर, 2022 को RBI ने बताया कि अब विदेशी मुद्रा भंडार कम होकर 545 बिलियन डॉलर रह गया है. इस तरह विदेशी मुद्रा भंडार में 97 बिलियन डॉलर कम हुए हैं. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि इस महीने के अंत तक विदेशी मुद्राभंडार में और कमी आएगी.
FPI अब तक शेयर मार्केट से निकाल चुके हैं 1.5 लाख करोड़ रुपये
कोविड प्रभावित साल 2020-21 के दौरान FPI (Foreign Portfolio Investors) ने भारतीय बाजारों में कुल 36 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था. वहीं अगले साल 2021-22 में विदेशी निवेशकों ने 16.7 बिलियन डॉलर भारतीय शेयर बाजार से निकाल लिए थे. इस साल 2022-23 में अभी तक Foreign Portfolio Investors 1.5 लाख करोड़ रुपए (18 बिलियन USD) भारतीय बाजारों से निकाल चुके हैं.
भारत का तेल आयात हुआ और मंहगा
इसके अलावा पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का पेट्रोलियम आयात 119 बिलियन डॉलर का था. कोविड प्रभावित साल 2020-21 में भारत ने 62 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा खर्च की थी. इस साल कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की रिकॉर्ड कीमतों के कारण भी भारत को ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है.
दुनिया में कई करेंसी की मुकाबले कम गिरा है रुपया
रुस यूक्रेन की लड़ाई 24 फरवरी को शुरु हुई थी. तब से अब तक रुपया करीब 7.8% गिर चुका है जबकि दुनिया की कई प्रमुख करेंसी इससे ज्यादा कमजोर हुई है.
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