Share Market crash: इन पांच कारणों से निवेशकों को हुआ 4.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 03, 2022, 05:09 PM IST

वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के पहले कारोबारी दिन में शेयर बाजार में एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली.

डीएनए हिंदीः सप्ताह के पहले कारोबारी दिन शेयर बाजार (Share Market Crash) में एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. बांबे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स (sensex) में आज करीब 750 अंक की गिरावट के साथ दलाल स्ट्रीट के निवेशकों को 4.5 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ. नई तिमाही के पहले कारोबारी दिन निफ्टी 16,900 अंक से नीचे चला गया. आंकड़ों के अनुसार 638.11 अंकों की गिरावट के साथ 56,788.81 अंकों पर बंद हुआ. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 50 (Nifty 50) 207 अंकों की गिरावट के साथ 16,887.35 अंकों पर बंद हुआ है.  आइए आपको भी बताते हैं कि शेयर बाजार के गिरने और निवेशकों के नुकसान के कौन-कौन से प्रमुख कारण देखने को मिले हैं. 

ग्लोबल शेयर मार्केट 
ग्लोबल शेयर बाजारों पर नजर दौड़ाएं तो यूरोपीय स्टॉक्स 600 सूचकांक 1.4 फीसदी नीचे देखने को मिला. लंदन का एफटीएसई-100 स्टॉक इंडेक्स अन्य बाजारों के अनुरूप गिरकर 1 फीसदी नीचे था. जापानी बाजार को छोड़कर एशियाई शेयर ज्यादातर नकारात्मक रहे, जिन्हें मजबूत ऊर्जा और सेमीकंडक्टर शेयरों का समर्थन मिला.

क्रेडिट सुइस क्राइसिस 
स्विस बैंकिंग दिग्गज क्रेडिट सुइस की 27 अक्टूबर को घोषित की जाने वाली प्रस्तावित पुनर्गठन योजना के बारे में अफवाहों से बाजार गुलजार था. क्रेडिट सुइस ने बैंक के क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (सीडीएस) पर स्प्रेड में तेज वृद्धि देखी है, जो एक कंपनी के कर्ज के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है. बैंक का प्रबंधन बड़े ग्राहकों और निवेशकों को इसकी तरलता और पूंजी के बारे में आश्वस्त करने की कोशिश कर रहा है. फिर भी यूरोपीय बाजारों में सोमवार को इसके शेयर 10 फीसदी गिरे.

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कच्चे तेल की कीमतें
तेल की कीमतों में 4 फीसदी से ज्यादा का उछाल देखने को मिला. ओपेक प्लस की ओर से आए बयान के अलुसार वह प्रति दिन 1 मिलियन बैरल से अधिक उत्पादन को कम करने पर विचार करेगा, जो कि कोविड -19 महामारी की शुरुआत के बाद से इसकी सबसे बड़ी कटौती होगी.

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रुपये पर दबाव
भारतीय रुपया दबाव में देखने को मिला. घरेलू मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82 रुपये पर कारोबार किया. हालांकि रुपये में गिरावट निर्यातकों के लिए सकारात्मक है, लेकिन इससे देश का आयात काफी महंगा हो जाएगा. 

एफआईआई आउटफ्लो 
21 सितंबर को यूएस फेड की 75 बीपीएस दर में बढ़ोतरी के बाद से विदेशी संस्थागत निवेशक या एफआईआई भारतीय इक्विटी बाजार में शुद्ध विक्रेता रहे हैं. शुक्रवार को एफआईआई ने 1,500 करोड़ रुपये से अधिक की इक्विटी बेची है. एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने एफआईआई 7,624 करोड़ रुपये के शुद्ध विक्रेता थे.

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