डीएनए हिंदी: एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) ने अपनी एक रिपोर्ट में इंडियन गवर्नमेंट बॉन्ड्स (IGBs) को लेकर खुलासा किया है. S&P Global ने बताया कि क्यों इंडियन गवर्नमेंट बॉन्ड्स वैश्विक इंडेक्स पर क्यों नहीं हैं.एसएंडपी ग्लोबल की 'अनलॉकिंग इंडियाज कैपिटल मार्केट पोटेंशियल' रिपोर्ट में कंपनी ने बताया कि यहां पर कैपिटल गेंस टैक्स सिस्टम(Capital Gains Tax In India) सबसे बड़ी रुकावट है. 3 अगस्त 2023 को जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक इस समय जहां एक ओर ग्लोबल लेवल पर सेल के टाइम पेमेंट पर विदहोल्डिंग टैक्स (Tax withholding) नहीं लगाया जा रहा है. दूसरी ओर भारत में सरकारी बॉन्ड्स से होने वाले मुनाफा पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है. एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक इसी वजह से इंडियन गवर्नमेंट बॉन्ड्स (IGBs) ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल नहीं है.
विदहोल्डिंग टैक्स क्या होता है?
विदहोल्डिंग टैक्स वह राशि है जो नियोक्ता द्वारा सीधे कर्मचारी की कमाई से काट ली जाती है और व्यक्ति की कर देनदारी के हिस्से के रूप में सरकार को भुगतान की जाती है. ये कर भारत की केंद्र सरकार को भुगतान किए जाते हैं. भारत में, केंद्र सरकार व्यक्ति की आय के आधार पर टैक्स लगाती है. यह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 195 के अंतर्गत आता है.
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सरकार क्यों लगा रही है विदहोल्डिंग टैक्स
भारत सरकार विदेशी निवेशकों को कैपिटल गेन्स (Capital Gains) पर टैक्स माफ करने के मूड में नहीं है क्योंकि सरकार का मानना है कि इससे भारतीय निवेशकों को भारी नुकसान हो सकता है. इसी कारण टैक्स को माफ किए जाने का प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया. 5 जुलाई जुलाई 2023 में RBI की एक रिपोर्ट में ऐसा कहा गया था कि अगर सरकारी बॉन्ड्स को ग्लोबल इंडेक्स से जोड़ दिया जाए तो उससे अधिक फायदा होगा पर सरकार अभी भी बॉन्ड्स से होने वाली कमाई को टैक्स फ्री करने के मूड में नहीं हैं.
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ग्लोबल इंडेक्स में शामिल होने पर कितना होगा फायदा
एसएंडपी ग्लोबल ने अपनी की रिपोर्ट बाजार के हालातों के अनुमानों को लेकर दावा किया है कि प्रमुख बॉन्ड इंडेक्स में इंडियन गवर्नमेंट सिक्योरिटीज को शामिल करने से शुरुआत में ही 2 से 4 हजार करोड़ डॉलर तक का इन्वेस्टमेंट आ सकता है. इतना ही नहीं यह अगले 10 सालों में बढ़कर 18 हजार करोड़ डॉलर तक भी पहुंच सकता है. इस रिपोर्ट में इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस के डेटा को मद्देनजर रखते हुए कहा गया है कि इससे यहां के गवर्नमेंट बॉन्ड मार्केट में फॉरेन इन्वेस्टमेंट 0.9 फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी तक हो सकती है. साल 2022 में ग्लोबल गवर्नमेंट बॉन्ड्स के लिए रिफरेंस इंडेक्स इसी वजह से जेपी मॉर्गन ने भारत को नहीं शामिल किया था.
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