Nandini Milk का क्या है पूरा इतिहास क्यों अब विवादों में है घिरी, जानें यहां  

नेहा दुबे | Updated:Apr 11, 2023, 06:47 AM IST

Nandini Milk vs Amul Milk

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के स्वामित्व वाली Nandini Milk और Amul Milk को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. एक खबर के मुताबिक बीजेपी पर अमूल को दक्षिण राज्यों में बढ़ावा देने का आरोप लगाया जा रहा है.

डीएनए हिंदी: कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के स्वामित्व वाली नंदिनी मिल्क (Nandini Milk) एंड मिल्क प्रोडक्ट्स गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के स्वामित्व वाली अमूल (Amul) द्वारा दक्षिणी राज्य में बाजार पर कब्जा करने की खबर सामने आ रही है. इस बीच यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि रूलिंग पार्टी BJP कहीं ना कहीं राज्य में स्वदेशी नंदिनी डेयरी उत्पादों के बजाय गुजराती ब्रांड का पक्ष ले रही है. आइए जानते हैं नंदिनी मिल्क का पूरा इतिहास. नंदिनी मिल्क कब शुरू हुआ और अब तक किन विवादों में घिरी नजर आई?

नंदिनी मिल्क की शुरुआत

कर्नाटक डेयरी विकास निगम (Karnataka Dairy Development Corporation) का गठन 1975 में विश्व बैंक (World Bank) की सहायता प्राप्त डेयरी विकास परियोजनाओं को लागू करने के लिए एक एजेंसी के रूप में किया गया था. कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने 1984 में 13 जिला सहकारी दुग्ध संघों के साथ डेयरी गतिविधि के विभिन्न मापदंडों को पूरा करते हुए पूरे राज्य को शामिल किया.

कॉर्पोरेट ब्रांड नाम 'नंदिनी' 1983 में दिया गया था. पहला पशु चारा प्लांट 21 मार्च 1983 को राजनुकुंटे में चालू किया गया था और इसकी क्षमता 1997 में 100 मीट्रिक टन से 200 मीट्रिक टन तक बढ़ा दी गई थी.

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देश की दूसरी सबसे बड़ी डेयरी

KMF वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक आज कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन लिमिटेड देश की दूसरी सबसे बड़ी डेयरी कोऑपरेटिव है. दक्षिण भारत में, यह खरीद और बिक्री के मामले में पहले स्थान पर है.

KMF के 16 मिल्क यूनियंस हैं जो राज्य के सभी जिलों को कवर करते हैं. वे प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियों (DCS) से दूध खरीदते हैं और कर्नाटक के विभिन्न कस्बों/शहरों/ग्रामीण बाजारों में उपभोक्ताओं को दूध वितरित करते हैं. 2022-23 तक, राज्य में 15,311 डेयरी सहकारी समितियां कार्यरत हैं.

1976-77 के दौरान कर्नाटक मिल्क फेडरेशन किसानों को रोजाना कुल 0.09 करोड़ रुपये देता था, 2022-23 में किसानों को रोजाना कुल 23.93 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. जबकि 1976-77 में, KMF यूनियनों का कुल कारोबार 8.82 करोड़ रुपये था, 2022-23 में यह आंकड़ा चौंका देने वाला है जो कि 14,018 करोड़ रुपये है.

नंदिनी मिल्क से जुड़े विवाद

कर्नाटक में इस साल चुनाव होने वाला है और ऐसे में राज्य में अमूल को बढ़ावा देने का आरोप कहीं ना कहीं सियासी गलियारे में एक छोटे से तूफ़ान की झलक है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व वाला विपक्ष राज्य से "नंदिनी को चुराने" की कोशिश करने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों को निशाना बना रहा है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री, सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से पूछा, “क्या आपका कर्नाटक आने का उद्देश्य कर्नाटक को देना है या कर्नाटक से लूटना है? आप कन्नडिगाओं से पहले ही बैंकों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों को चुरा चुके हैं. क्या अब आप हमसे नंदिनी (KMF) चुराने की कोशिश कर रहे हैं?”
 


इसके अलावा, ब्रुहुत बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन (Bruhut Bengaluru Hotels Association) ने घोषणा की है कि वे अमूल (Amul) के खिलाफ विरोध के रूप में विशेष रूप से नंदिनी दूध ( Nandini milk) का उपयोग करेंगे.

भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार कांग्रेस पार्टी पर राज्य में अमूल की शुरुआत का राजनीतिकरण करने का आरोप लगा रही है. मुख्य मंत्री बसवराज बोम्मई (Chief Minister Basavraj Bommai) ने कहा कि नंदिनी "कर्नाटक का गौरव" थीं और उनकी सरकार ने इसे देश में सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए थे. उन्होंने कहा "नंदिनी की बाजार पहुंच व्यापक है, अमूल से डरने की कोई जरूरत नहीं है."

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